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73 वर्ष के हुये महेश भट्ट, इस खास अंदाज में मनाया अपना जन्मदिन

बॉलीवुड के जाने माने फिल्मकार महेश भट्ट आज 73 वर्ष के हो गये। महेश भट्ट का जन्म 20 सितंबर 1948 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता नानाभाई भट्ट फिल्म इंडस्ट्री के जाने माने फिल्मकार थे। घर में फिल्मी माहौल के कारण उनका रुझान भी फिल्मों की ओर हो गया और वह निर्देशक बनने का सपना देखने लगे। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह निर्माता-निर्देशक राज खोसला के सहायक के तौर पर काम करने लगे।

महेश भट्ट ने अपने सिने करियर की शुरुआत वर्ष 1970 में एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘संकट’ से की। इसके बाद उन्होंने बतौर निर्देशक ‘मंजिले और भी हैं’, ‘विश्वासघात’, ‘लहू के दो रंग’, ‘नया दौर’ और ‘अभिमन्यु’ जैसी कई फिल्में निर्देशित की लेकिन इन फिल्मों से उन्हें कोई खास फायदा नहीं पहुंचा।

वर्ष 1982 में महेश भट्ट को फिल्म ‘अर्थ’ निर्देशित करने का अवसर मिला। फिल्म में स्मिता पाटिल, शबाना आजमी और कुलभूषण खरबंदा ने मुख्य भूमिका निभाई थी। माना जाता है कि इस फिल्म के जरिये महेश भट्ट ने अभिनेत्री परवीन बॉबी के साथ अपने रिश्ते को दर्शाया था। फिल्म टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुई। इसके

मनोरंजन-महेश जन्मदिन दो मुंबईमनोरंजन-महेश जन्मदिन दो मुंबईवर्ष 1984 में प्रदर्शित फिल्म ‘सारांश’ महेश भट्ट के निर्देशन में बनी सुपरहिट फिल्म साबित हुई। फिल्म में अनुपम खेर और रोहिणी हथगड़ी और सोनी राजदान ने मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म में अपनी बेहतरीन पटकथा के लिए महेश भट्ट मॉस्को फिल्म फेस्टिवल में पुरस्कार से सम्मानित भी किये गए।

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वर्ष 1986 में प्रदर्शित फिल्म ‘नाम’ महेश भट्ट निर्देशित अहम फिल्मों में शुमार की जाती है। राजेन्द्र कुमार निर्मित इस फिल्म में संजय दत्त और कुमार गौरव ने अहम भूमिका निभाई थी। यूं तो इस फिल्म के लगभग सभी गीत सुपरहिट साबित हुए लेकिन पंकज उधास की मखमली आवाज में ‘चिट्ठी आई है वतन से चिट्ठी आई है’ गीत आज भी श्रोताओं की आंखों को नम कर देता है।

वर्ष 1986 से वर्ष 1989 महेश भट्ट के सिने करियर का बुरा वक्त साबित हुआ। इस दौरान उनकी ‘आज’, ‘काश’, ‘ठिकाना’, ‘कब्जा’ जैसी फिल्में प्रदर्शित हुईं लेकिन ये सभी फिल्में टिकट खिड़की पर बुरी तरह से नकार दी गयी। वर्ष 1989 में महेश भट्ट ने अपने भाई मुकेश भट्ट के साथ मिलकर फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया और विशेष फिल्मस के बैनर तले ‘डैडी’ का निर्माण किया।

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वर्ष 1991 में ही महेश भट्ट निर्देशित एक और सुपरहिट फिल्म ‘दिल है कि मानता नहीं’ प्रदर्शित हुई। आमिर खान और पूजा भट्ट की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म की कहानी हॉलीवुड फिल्म ‘इट हैपेंड वन नाईट’ पर आधारित थी। फिल्म में पूजा भट्ट और आमिर खान ने अपने चुलबुले अंदाज से दर्शकों का दिल जीतकर फिल्म को सुपरहिट बना दिया। वर्ष 1993 में महेश भट्ट को एक बार फिर से अभिनेता आमिर खान के साथ फिल्म ‘हम है राही प्यार के’ में काम करने का अवसर मिला जो उनके सिने करियर की एक और सुपरहिट फिल्म साबित हुई। इस फिल्म में आमिर खान और जूही चावला की जोड़ी को दर्शकों ने बेहद पसदं किया था।

वर्ष 1995 में महेश भट्ट ने छोटे पर्दे की ओर भी रुख कर लिया और शोभा डे की कहानी ‘स्वाभिमान’ को निर्देशित किया। यह धारावाहिक दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ था। वर्ष 1998 में प्रदर्शित फिल्म ‘तमन्ना’ महेश भट्ट के निर्देशन में बनी महत्वपूर्ण फिल्मों में शुमार की जाती है। वर्ष 1998 में महेश भट्ट की एक और सुपरहिट फिल्म ‘जख्म’ प्रदर्शित हुई। इस फिल्म के जरिये महेश भट्ट ने अयोध्या में हुए बावरी मस्जिद विध्वंस के बाद मुंबई में हुए दंगे में एक परिवार को त्रास्दी को रूपहले पर्दे पर पेश किया था। फिल्म में अपने बेहतरीन अभिनय के लिए अजय देवगन जहां सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया वहीं महेश भट्ट को सर्वश्रेष्ठ कहानी के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार का सम्मान प्राप्त हुआ।

वर्ष 1999 में प्रदर्शित फिल्म ‘कारतूस’ की टिकट खिड़की की असफलता के बाद महेश भट्ट ने फिल्म निर्देशन के क्षेत्र से किनारा कर लिया। हालांकि उन्होंने फिल्मों की कहानी और स्क्रीनप्ले लिखना जारी रखा।महेश भट्ट अपने सिने करियर में तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किये गए। उन्होंने अपने तीन दशक लंबे सिने करियर में लगभग 50 फिल्मों का निर्देशन किया है।

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