• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

किसानों को रास आयी मक्के की खेती

Writer D by Writer D
03/05/2023
in उत्तर प्रदेश, लखनऊ
0
Maize

Maize

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने अपने दूसरे कार्यकाल में मक्के (Maize) का उत्पादन 2027 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। फिलहाल 2021-2022 में मक्के का उत्पादन 14.67 लाख मेट्रिक टन था। तय अवधि में इसे बढ़ाकर 27.30 लाख मीट्रिक टन करने का लक्ष्य है। इसके लिए रकबा बढ़ाने के साथ प्रति हेक्टेयर प्रति कुंतल उत्पादन बढ़ाने पर भी बराबर का जोर होगा।
जायज के मौजूदा सीजन से इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। प्रदेश के किसानों ने संकल्प के अनुरूप मक्के की बोआई का रकबे में खासी बृद्धि की है। जायज की प्रमुख फसलों के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इस सीजन के लिए सरकार का लक्ष्य 1.71 लाख हेक्टेयर पर मक्के की बोआई का लक्ष्य था। इसकी तुलना में बोआई 1.93 लाख हेक्टेयर रकबे में हुई यह लक्ष्य का करीब 113 फीसद है।

मक्के (Maize) की खेती का रकबा बढाने एवं सरकार की ओर से 2027 तक इसकी उपज दोगुना करने के लक्ष्य के पीछे मक्के का बहुपयोगी और कई खूबियों से लैश होना है।

तीनों फसली सीजन एवं हर तरह की भूमि में हो सकती है मक्के (Maize) की खेती

बात चाहे पोषक तत्वों की हो या उपयोगिता की। बेहतर उपज की बात करें या सहफसली खेती या औद्योगिक प्रयोग की। हर मौसम (रबी, खरीफ एवं जायद) और जलनिकासी के प्रबंधन वाली हर तरह की भूमि में होने वाले मक्के का जवाब नहीं।

इथेनॉल, पशु एवं कुक्कुट आहार एवं औषधीय रूप में उपयोगी है मक्का (Maize) 

मालूम हो कि मक्के का प्रयोग ग्रेन बेस्ड इथेनॉल उत्पादन करने वाली औद्योगिक इकाइयों,कुक्कुट एवं पशुओं के पोषाहार,
दवा, कास्मेटिक, गोद, वस्त्र, पेपर और एल्कोहल इंडस्ट्री में भी इसका प्रयोग होता है। इसके अलावा मक्के को
आटा, धोकला, बेबी कार्न और पाप कार्न के रूप में तो ये खाया ही जाता है। किसी न किसी रूप में ये हर सूप का अनिवार्य हिस्सा है।
ये सभी क्षेत्र संभावनाओं वाले हैं।

बढ़ी मांग से लाभान्वित होंगे यूपी के किसान

आने वाले समय में बहुपयोगी होने की वजह से मक्के की मांग भी बढ़ेगी। इस बढ़ी मांग का अधिक्तम लाभ प्रदेश के किसानों को हो इसके लिए सरकार मक्के की खेती के प्रति किसानों को लगातार जागरूक कर रही है। उनको खेती के उन्नत तौर तरीकों की जानकारी देने के साथ सीड रिप्लेसमेंट (बीज प्रतिस्थापन) की दर को भी बढ़ा रही है। किसानों को मक्के की उपज का वाजिब दाम मिले इसके लिए सरकार पहले ही इसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में ला चुकी है।

पोषक तत्वों से भरपूर होने के नाते मक्के (Maize) को बोलते हैं अनाजों की रानी

मक्के में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व भी पाए जाते हैं, इसमें कार्बोहाइड्रेड, शुगर, वसा, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल मिलता है। इस लिहाज से मक्का की खेती कुपोषण के खिलाफ जंग साबित हो सकती है। इन्हीं खूबियों की वजह से मक्के को अनाजों की रानी कहा गया है।

उन्नत खेती के जरिए उपज बढ़ने की भरपूर संभावना

विशेषज्ञों की मानें तो उन्नत खेती के जरिये मक्के की प्रति हेक्टेयर उपज 100 क्विंटल तक भी संभव है। प्रति हेक्टेयर सर्वाधिक उत्पादन लेने वाले तमिलनाडु की औसत उपज 59.39 कुंतल है। देश के उपज का औसत 26 कुंतल एवं उत्तर प्रदेश के उपज का औसत 2021-22 में 21.63 कुंतल प्रति हेक्टेयर था। ऐसे में यहां उपज मक्के की उपज बढाने की भरपूर संभावना है।

युवाओं को कट्टे से कलम की ओर ले जा रहे हम: सीएम योगी

जून के दूसरे हफ्ते से लेकर जुलाई में बो सकते हैं ख़रीफ की फसल

क्रील सिस्टम इनीसिएटिव फार साउथ एशिया (सीसा) के वैज्ञानिक डा.अजय के अनुसार ख़रीफ के फसल की बोआई के लिए 15 जून से 15 जुलाई तक का समय उपयुक्त होता है। अगर सिंचाई की सुविधा हो तो मई के दूसरे-तीसरे हफ्ते में भी इसकी बोआई की जा सकती है। इससे मानसून आने तक पौधे ऊपर आ जाएंगे और भारी बारिश से होने वाली क्षति नहीं होगी। प्रति एकड़ करीब 8 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है। अच्छी उपज के लिए बोआई लाइन में करें। लाइन से लाइन की दूरी 60 सेमी एवं पौधे से पौधे की दूरी 20 सेमी रखें। उपलब्ध हो तो बेडप्लान्टर का प्रयोग करें।

बोआई का तरीका एवं उन्नत प्रजातियां

कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार उन्नत प्रजातियों की बोआई करें। डंकल डबल, कंचन 25, डीकेएस 9108, डीएचएम 117, एचआरएम-1, एनके 6240, पिनैवला, 900 एम और गोल्ड आदि प्रजातियों की उत्पादकता ठीकठाक है। वैसे तो मक्का 80-120 दिन में तैयार हो जाता है। पर पापकार्न के लिए यह सिर्फ 60 दिन में ही तैयार हो जाता है।

Tags: agriculture newsFarmer's Cornerfarmingmaize cropMaize cultivation
Previous Post

युवाओं को कट्टे से कलम की ओर ले जा रहे हम: सीएम योगी

Next Post

‘जय बजरंग बली’ बोलकर करो वोट, दो कांग्रेस को सजा : नरेन्द्र मोदी

Writer D

Writer D

Related Posts

Solar Pump
उत्तर प्रदेश

खेती की लागत कम करने में किसानों की सारथी बन रही डबल इंजन सरकार

02/07/2025
CM Yogi
उत्तर प्रदेश

प्रदेश को ‘वन ट्रिलियन डॉलर’ की इकॉनमी बनाएगा सीएम योगी का ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’

02/07/2025
Drumstick
उत्तर प्रदेश

वन विभाग की अनूठी पहल, पर्यावरण और पोषण को देगा बढ़ावा सहजन भण्डारा

02/07/2025
उत्तर प्रदेश

छत के कुंडी से लटकता मिला नवविवाहिता का शव

02/07/2025
CM Yogi
Main Slider

शीघ्र और पारदर्शी हो जन समस्याओं का समाधान : सीएम योगी

02/07/2025
Next Post
PM Modi

'जय बजरंग बली' बोलकर करो वोट, दो कांग्रेस को सजा : नरेन्द्र मोदी

यह भी पढ़ें

संजय रॉय की फांसी की मांग पर पीड़िता के माता-पिता का यू टर्न, हाईकोर्ट में कही हैरान करने वाली बात

27/01/2025
nida khan

‘तेरा सिर काटकर चौराहे पर लटका दूंगा’, आला हजरत खानदान की बहू निदा खान को मिली धमकी

27/07/2024

तीन दिन के दौरे पर कानपुर पहुंचे राष्ट्रपति, CM योगी ने किया स्वागत

25/06/2021
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version