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मकर संक्रांति पर करें इन चीजों का दान, जीवन में नहीं होगी समस्‍या

Makar Sankranti

Makar Sankranti

अंग्रेजी वर्ष 2024 में इस बार लीप वर्ष का संयोग बन रहा है, यह वर्ष 365 दिनों के बजाय 366 दिनों का होगा। फरवरी 28 दिनों का होता है, लेकिन लीप वर्ष में फरवरी 29 दिनों का रहेगा। इस महीने सप्ताह के सात वारों में से छह वार चार-चार बार पड़ रहे हैं, केवल गुरुवार पांच बार पड़ेगा। प्रत्येक वर्ष के पहले महीने में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर्व 14 जनवरी को मनाया जाता है। इस साल लीप वर्ष के संयोग में सूर्य, 15 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश कर रहा है, इसलिए मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाएंगे।

सूर्य का मकर राशि में प्रवेश

ज्योतिषाचार्य डा. दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की रात्रि 2.42 बजे हो रहा है। उदया काल को महत्व दिए जाने से 15 जनवरी को सूर्य के उदय होने पर मकर संक्रांति (Makar Sankranti) मनाना शुभ होगा। पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, शतभिषा नक्षत्र होने से सुबह से ही पुण्यकाल प्रारंभ हो जाएगा।

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का वाहन अश्व, उपवाहन शेर

मकर संक्रांति (Makar Sankranti)  का वाहन इस बार अश्व है और उपवाहन शेर है। दोनों ही तेज दौड़ते हैं और गति के प्रतीक हैं। संक्रांति के प्रभाव से गेहूं, अनाज दूध और दूध से निर्मित पदार्थों के उत्पादन में वृद्धि होगी। वहीं, भारत देश का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पराक्रम बढ़ेगा। अन्य देशों से संबंध मजबूत होंगे।

नदी में स्नान, दान का महत्व

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर सूर्य, धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना शुभ माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके तिल, गुड़, वस्त्र का दान करने से पुण्य में वृद्धि होती है।

प्राण त्यागने के लिए भीष्म ने किया था उत्तरायण काल का इंतजार

मान्यता है कि संक्रांति के दिन सूर्य, उत्तरायण में प्रवेश करता है। उत्तरायण को शुभ काल मानते हैं। इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त करने वाले तीरों की शैया पर लेटे भीष्म पितामह ने अपने प्राण त्यागने के लिए उत्तरायण काल का इंतजार किया था।

पतंग उड़ाने की परंपरा

मकर संक्रांति (Makar Sankranti)  पर्व को उत्तर भारत में स्नान पर्व के रूप में मनाया जाता है। पवित्र नदियों में स्नान करके खिचड़ी खिलाने, तिल, गुड़ का दान करने की मान्यता है। जीवन में खुशियां, उत्साह, उमंग के लिए आकाश में पतंग उड़ाने की परंपरा निभाई जाती है। इसी तरह दक्षिण भारत में पोंगल पर्व के रूप में मनाते हैं। गुजरात में उत्तरायण, पंजाब में लोहड़ी के रूप में मनाते हैं।

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पुण्यकाल – 7.15 बजे से 6.21 मिनट तक

महा पुण्यकाल – 7.15 से 9.06 बजे तक

खास बातें

संक्रांति का वाहन– अश्व

उपवाहन– शेर

आगमन दिशा– दक्षिण दिशा से संक्रांति का आगमन

प्रस्थान दिशा– उत्तर दिशा में संक्रांति का प्रस्थान

प्रभाव– गेहूं, दूध के उत्पादों में वृद्धि, मांग, भारत का पराक्रम बढ़ेगा

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