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सर्वपितृ अमावस्या बनाएं दान की टोकरी, पितरों के आशीर्वाद से घर में होगा सुख-समृद्धि का वास

Sarva Pitru Amavasya

Sarva Pitru Amavasya

सर्वपितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) को पितृपक्ष (Pitru Paksha) का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना गया है, जब हर परिवार अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और दान करता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन श्रद्धा से की गई अर्पण और दान से पितृ न केवल प्रसन्न होते हैं बल्कि परिवार को धन, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद भी देते हैं। खास बात यह है कि इस दिन दान की एक विशेष टोकरी बनाकर मंदिर, ब्राह्मण या जरूरतमंद को देने की परंपरा है, जिसे अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।

क्यों बनती है दान की टोकरी?

सर्वपितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) पर दान को अत्यंत फलदायी माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि दानं पितृणाम तुष्टिकरं भवेत्, यानी पितरों को तृप्त करने का सबसे श्रेष्ठ साधन दान है। इसीलिए घर में अलग से दान की टोकरी तैयार करने की परंपरा है। इसे मंदिर, ब्राह्मण या जरूरतमंद को अर्पित करने से पितृदेव प्रसन्न होकर वंश में सुख-शांति का आशीर्वाद देते हैं।

टोकरी में क्या-क्या रखें?

दान की टोकरी में वे वस्तुएं रखनी चाहिए जिन्हें शास्त्रों और परंपराओं में पवित्र और शुभ माना गया है

अन्न और तिल पितरों की तृप्ति के लिए चावल, गेहूं और तिल जरूर रखें।
सुथनी/कपड़ा सफेद या पीले वस्त्र दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

लौकी, कद्दू या हरी सब्जियां इन्हें दान करने से पितृदोष का निवारण होता है।
तांबे या पीतल के बर्तन शुद्ध धातु के पात्र दान में देने से लक्ष्मी कृपा बनी रहती है।
दक्षिणा और मिठाई थोड़ी-सी दक्षिणा और गुड़-खील-मिठाई टोकरी में रखना शुभ होता है।

दान की विधि

सुबह स्नान के बाद पितरों का स्मरण करें। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके श्राद्ध मंत्रों के साथ जल अर्पण करें और फिर दान की टोकरी किसी ब्राह्मण, गौशाला या जरूरतमंद को दें। ध्यान रहे, दान हमेशा प्रसन्न मन से करें, तभी उसका फल कई गुना बढ़ता है।

क्या होगा लाभ?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या पर इस तरह दान करने से

पितृ आत्माएं तृप्त होती हैं और आशीर्वाद देती हैं।

घर से दरिद्रता और बाधाएं दूर होती हैं।

परिवार पर लक्ष्मी कृपा बनी रहती है।

संतान सुख और वंशवृद्धि में आ रही अड़चनें कम होती हैं।

इस सर्वपितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) दान की टोकरी बनाकर पितरों को प्रसन्न करें। मान्यता है कि ऐसा करने से घर-परिवार में कभी अन्न-धन की कमी नहीं होती और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।

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