कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर गुजरात के आंणद में आयोजित राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के समापन सत्र को पीएम मोदी ने वीडियो कांफ्रेस के जरिए संबोधित किया। किसानों को संबोधित करते हुए उन्होंने प्राकृतिक खेती पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि किसानों को प्राकृतिक खेती के तरीकें अपनाने चाहिए।
प्राकृतिक खेतों की विशेषता बताते हुए उन्होंने कहा कि बाढ़ सूखे से निपटने से लेकर सिंचाई की व्यवस्था तक प्राकृतिक तरीके से होने वाली खेती मददगार होती है। इसमें लागत कम लगता है और मुनाफा अधिक होता है।
श्री मोदी ने गुजरात के आणंद में तीन दिन के प्राकृतिक कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण राष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे दिन किसानों के सम्मेलन को आनलाइन सम्बोधित करते हुए गुरुवार को कहा कि राज्य सरकार प्राकृतिक खेती को जन आन्दोलन बनायें तथा जिले में कम से कम एक गांव को प्राकृतिक खेती से जोड़ें । गुजरात में यह जन आन्दोलन बन गया है और हिमाचल प्रदेश में भी इसका आकर्षण बढ रहा है ।
प्रधानमंत्री ने किसानों से अपील की वह जड़ों की तरफ लौटें भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां की सभ्यता खेती के आसपास ही बनी है। उन्होंने कहा कि दुनिया आज जितनी आधुनिक हो रही है उतना ही बैक टू बेसिक होकर जड़ों से जुड़ रही है। दुनिया अगर आज प्राकृतिक खेती की बात करती है तो उसकी जड़ें कहीं न कहीं भारत से जुड़ी हैं।
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राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन को कृषि मंत्री एनएस तोमर ने भी संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने केंद्र की नीतियों और कार्यों की जमकर सराहना की। इस दौरान एनएस तोमर ने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि गांधी और पटेल के बाद पीएम मोदी के नेतृत्व में, भारत ने वैश्विक पहचान हासिल की है। एक समय था जब भारत की अनदेखी की जाती थी लेकिन आज भारत की सहमति के बिना कोई भी देश का एजेंडा पूरा नहीं होता है। वहीं, उन्होंने काशी कॉरिडोर पर भी बात करते हुए कहा कि एक तरफ ताजमहल के मजदूरों के हाथ काटे गए तो वहीं पीएम मोदी हैं जिन्होंने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के विकास के पीछे मजदूरों पर कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए फूल बरसाए।
वहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि 2019 के बाद से पीएम मोदी ने किसानों से जैविक खेती करने की अपील की है। जिससे गाय के गोबर की खाद से भूमि की उर्वरता में सुधार होता है। जैविक उत्पादन समय की मांग है।