प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात में देश की जनता को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अलग-अलग मुद्दों पर अपनी बात रखते हैं और देश की जनता से रूबरू होते हैं।
आज की मन की बात में पीएम मोदी ने कहा, ‘कहानियों का इतिहास उतना ही पुराना है, जितनी मानव सभ्यता। कहानी की ताकत महसूस करना हो तो किसी मां को अपने बच्चों को खाना खिलाते वक्त कहानियां सुनाते हुए सुनें. भारत में किस्सागोई की परंपरा रही है। हमें गर्व है कि हम उस देश के वासी हैं, जहां ‘हितोपदेश’ और ‘पंचतंत्र’ की परंपरा रही है। जहां कहानियों में पशु-पक्षियों और परियों की काल्पनिक दुनिया गढ़ी गयी, ताकि, विवेक और बुद्धिमता की बातों को आसानी से समझाया जा सके।’
I urge all storytellers to include all inspirational stories from the period of foreign rule as we are going to celebrate 75 years of independence. Especially between 1857 & 1947. We can introduce our new generation to them in form of stories: PM Modi on #MannKiBaat pic.twitter.com/uKe4X4iaS1
— ANI (@ANI) September 27, 2020
प्रधानमंत्री ने कहा, मैं अपने जीवन में बहुत लंबे अरसे तक एक परिव्राजक के रूप में रहा। घुमंत ही मेरी जिंदगी थी. हर दिन नया गांव, नए लोग, नए परिवार। भारत में कहानी कहने की, या कहें किस्सा-कोई की, एक समृद्ध परंपरा रही है। हमारे यहां कथा की परंपरा रही है। ये धार्मिक कहानियां कहने की प्राचीन पद्धति है।
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प्रधानमंत्री ने कहा, हर परिवार में कोई-न-कोई बुजुर्ग, बड़े व्यक्ति परिवार के, कहानियां सुनाया करते थे और घर में नई प्रेरणा, नई ऊर्जा भर देते हैं। कहानियां, लोगों के रचनात्मक और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती हैं, उसे प्रकट करती हैं। कहानी की ताकत को महसूस करना हो तो जब कोई मां अपने छोटे बच्चे को सुलाने के लिए या फिर उसे खाना खिलाने के लिए कहानी सुना रही होती है।
LIVE: Prime Minister Shri @narendramodi‘s #MannKiBaat with the Nation, September 2020. https://t.co/Znyvs2Ah50
— BJP (@BJP4India) September 27, 2020
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करने की अपील की। मन की बात कार्यक्र में प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना के समय में दो गज की दूरी बनाए रखना जरूरी है। प्रधानमंत्री ने कहा, कोरोना के इस कालखंड में पूरी दुनिया अनेक परिवर्तनों के दौर से गुजर रही है। आज, जब दो गज की दूरी एक अनिवार्य जरूरत बन गई है, तो इसी संकट काल ने, परिवारों के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम भी किया है। हमें, जरूर एहसास हुआ होगा कि हमारे पूर्वजों ने जो विधायें बनाई थीं, वो आज भी कितनी महत्वपूर्ण हैं और जब नहीं होती हैं तो कितनी कमी महसूस होती है।