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सर्व पितृ अमावस्या पर बन रहे हैं कई संयोग, पितृकर्म के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन

Sarva pitru Amavasya

Sarva pitru Amavasya

सर्व पितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) पर इस वर्ष कई संयोग बन रहे हैं। पहला यह शनिचरी अमावस्या है। इसलिए शनि गृह से पीड़ित इस दिन पितरों विदाई के साथ भगवान शनिदेव को प्रसन्न करने के लिये पूजा-अर्चना व सरसों के तेल अभिषेक कर सकें। इसके साथ ही सर्व पितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) पर इस वर्ष कई संयोग बन रहे हैं। जो कि विशेष फलदायी होंगे।

ज्योतिषाचार्य पं रवि शर्मा ने बताया कि 14अक्टूबर शनिवार को सर्व पितृ अमावस्या(शनिचरी अमावस्या) (Sarva Pitru Amavasya) पर हस्त नक्षत्र मे सूर्य ग्रहण पड रहा है जिसका स्पर्श रात्रि 09:40बजे एवं मोक्ष देर रात्रि 01:19बजे होगा।यह सूर्य ग्रहण सम्पूर्ण भारत मे दृष्टव्य नहीं है अत:किसी भी प्रकार के यमनियम सूतक का कोई प्रभाव नहीं होगा।

बडे बडे पंडित आपको इसके बारे मे काफी भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। इस दिन आप सूर्य अथर्वशीर्ष का पाठ कर सकते है। यह ग्रहण अमेरिका एवं अफ्रीका के कुछ क्षेत्रों मे दृष्टव्य है।

पितरों के विदाई के साथ शनिदेव का भी करें अभिषेक

पितरों की विदाई के साथ भगवान शनिदेव को प्रसन्न करने के लिये तेल का अभिषेक करने के साथ काले तिल, लोहा, और काला कपड़ा अर्पित कर तेल का दीपक प्रज्वलित करें। इसके साथ ही शनि से जुड़ी वस्तुओं का दान गरीबों में करें। दिव्यांग को भरपेट भोजन करायें और दक्षिण दें।

ये रहेगा तर्पण के लिए शुभ मुहूर्त

सर्वपितृ अमावस (Sarva Pitru Amavasya) पर तर्पण के शुभ मुहूर्त अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 13 अक्टूबर की रात 09 बजकर 50 मिनट पर प्रारम्भ होगी और 14 अक्टूबर की रात 11 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

सर्वपितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) के दिन तर्पण के 3 शुभ मुहूर्त हैं। कुतुप मूहूर्त – सुबह 11:44 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक रौहिण मूहूर्त – दोपहर 12:30 बजे से 01:16 बजे तक अपराह्न काल – दोपहर 01:16 बजे से 03:35 बजे तक है।

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