हिंदू धर्म में पूर्णिमा (Purnima) का विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष मास भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा का अपना एक खास महत्व है। इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा (Margashirsha Purnima ) 15 दिसंबर, रविवार को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु को पूजा की जाती है। जिससे व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी हो जाती है। हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष पूर्णिमा के बाद से सतयुग का प्रारंभ माना जाता है। इसीलिए यह महीना भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है।
पूर्णिमा (Purnima) के दिन नदी में स्नान, शाम को चंद्रमा की पूजा करने से व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन दान करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण होती है और सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसे मोक्षदायिनी पूर्णिमा भी कहते हैं।
स्नान-दान का समय– 15 दिसंबर को पूर्णिमा का स्नान दिनभर स्नान-दान कर सकते हैं।
पूजा-विधि:
इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व होता है। आप नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान भी कर सकते हैं नहाते समय सभी पावन नदियों का ध्यान कर लें।
नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
पूर्णिमा (Purnima) के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है।
इस दिन विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना भी करें।
भगवान विष्णुको भोग लगाएं। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को भी शामिल करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी के बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।
इस पावन दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का अधिक से अधिक ध्यान करें।
पूर्णिमा (Purnima) पर चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व होता है।
चंद्रोदय होनेके बाद चंद्रमा की पूजा अवश्य करें।
चंद्रमा को अर्घ्य देने से दोषों से मुक्ति मिलती है।
इस दिन जरूरतमंद लोगों की मदद करें।
अगर आपके घर के आसपास गाय है तो गाय को भोजन जरूर कराएं। गाय को भोजन कराने से कई तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है।