हिंदू धर्म शास्त्रों में चतुर्दशी तिथि बहुत ही विशेष मानी जाती है। हर मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) का व्रत का विधान है। मासिक शिवरात्रि का व्रत भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। मासिक शिवरात्रि पर जो भी भगवान भोलेाथ का व्रत और पूजन करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
शिव पुराण में कहा गया है मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। विवाहित महिलाएं अगर मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) का व्रत करती हैं, तो उन्हें सुख-सौभाग्य प्राप्त होता है। वहीं मासिक शिवरात्रि पर शुभ संयोग में भगवान शिव का पूजन करने से विवाह के योग जल्दी बनते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इस बार मासिक शिवरात्रि कब है। साथ ही पूजन का शुभ संयोग कब बन बन रहा है।
कब है मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri)
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल माघ माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 27 जनवरी को सुबह 8 बजकर 34 मिनट पर हो जाएगी। वहीं 28 जनवरी को शाम 7 बजकर 35 मिनट पर ये तिथि समाप्त हो जाएगी। ऐसे में मासिक शिवरात्रि 27 जनवरी को रहेगी। इसी दिन इसका पूजन और व्रत भी रखा जाएगा। मासिक शिवरात्रि पर निशा काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है।
मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) पर ब्रह्म मुहूर्त
सुबह 5 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगा। ये 6 बजकर 19 मिनट पर खत्म होगा। गोधूलि मुहूर्त शाम 5 बजकर 54 मिनट शुरू पर होगा। ये 6 बजकर 20 मिनट पर खत्म होगा। निशिता मुहूर्त रात के 12 बजकर 7 मिनट पर शुरू होगा। ये 1 बजे खत्म होगा।
मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) इन योग में करें पूजा
मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) पर हर्षण योग बनने वाला है। मासिक शिवरात्रि पर सुबह से लेकर देर रात 1 बजकर 57 मिनट तक हर्षण योग रहेगा। इसके साथ ही भद्रावास का भी संयोग का निर्माण हो रहा है। मासिक शिवरात्रि पर भद्रावास रात 8 बजकर 34 मिनट से है। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने वालों की की हर एक मनोकामना पूरी हो जाएगी। साथ ही जल्द विवाह के योग बनेंगे।
पूजा की विधि
– मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
– इसके पूजा घर या मंदिर को साफ कर गंगाजल छिड़क लें।
– फिर एक चौकी पर शिवलिंग या शिव परिवार की तस्वीर रख लें।
– भगवान भोलेनाथ को जल, कच्चा दूध, गंगाजल, बेलपत्र, धतूरा, भांग, फल, फूल और मिठाई चढ़ाएं।
– भोलेनाथ को धूप-दीप दिखाएं। उनके आगे घी का दिया जलाएं।
– फिर शिव चालीसा और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें।
– भगवान शिव को भोग लगाएं।
– आखिर में शिव जी की आरती करें।