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इंदिरा एकादशी पर बन रहा है मातंग योग, पूर्वजों के लिए आज अवश्य करें यह व्रत

Ashad Maas

Ashad Maas

हिंदू धर्म ग्रंथों में एकादशी व्रत को विशेष महत्व दिया जाता है क्योंकि ये व्रत करने से आपके जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं, मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मोक्ष भी मिलता है, इतना ही नहीं, भक्तों श्रीहरि विष्णु की कृपा भी प्राप्त होती है. एक वर्ष में कम से कम 24 एकादशी व्रत होते हैं. प्रत्येक एकादशी व्रत का अपना विशेष महत्व है. 21 सितंबर को इंदिरा एकादशी व्रत (Indira Ekadashi) है.

इसलिए महत्वपूर्ण है इंदिरा एकादशी व्रत (Indira Ekadashi)

श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी बताते हैं कि इंदिरा एकादशी पितृ पक्ष में होने के कारण अत्यंत ही महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि इससे पितरों का उद्धार होता है, साथ ही उनके संतानों का भी कल्याण होता है.

जो व्यक्ति इस व्रत को रखता है, वह तो पाप मुक्त होता ही है, उसके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. उसे भी मृत्यु के बाद जीवन मरण के चक्र से मुक्ति प्राप्त हो जाती है. इस व्रत को करने से राजा इंद्रसेन और उनके पिता को भी मोक्ष प्राप्त हुआ था. इस व्रत की विधि उन्हें स्वयं नारद जी ने बताई थी. इस महत्व के कारण सभी लोगों को यह व्रत अवश्य करना चाहिए.

मातंग योग में इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) 

इंदिरा एकादशी व्रत (Indira Ekadashi) के दिन पुष्य नक्षत्र होने के कारण मातंग योग बन रहा है, जो एक शुभ योग माना जाता है. मातंग शुभ योग पूरे दिन ही रहेगा. इसके अलावा इस दिन परिघ और शिव योग भी बना हुआ है.

जानिए कब है शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम बताते हैं कि हिंदू पंचांग के अनुसार इंदिरा एकादशी 20 सितंबर के दिन मंगलवार को सुबह नौ बजकर 26 मिनट से शुरू होकर 21 सितंबर दिन बुधवार को 11 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगा. इंदिरा एकादशी का व्रत 21 सितंबर को रखा जाएगा और 22 सितंबर को उसका पारन करना है. सुबह छह बजकर नौ मिनट से लेकर रात्रि आठ बजकर 35 मिनट तक पारन किया जा सकेगा.

इसलिए भी करें यह व्रत

यदि पूरे पितृ पक्ष में आपने किसी कारणवश अपने पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि जैसे कार्य नहीं कर पाए हैं तो इंदिरा एकादशी व्रत अवश्य रखें. इस व्रत को करने से भी आपके पितर प्रसन्न और तृप्त हो जाएंगे. वे आपको आशीर्वाद देंगे क्योंकि आपने उनके लिए मोक्ष का मार्ग खोल दिया है. इस वत के पुण्य प्रभाव से स्वयं का भी उद्धार होता है.

इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) व्रत में क्या करें

  1. व्रत वाले दिन अन्न और जल का ग्रहण न करें जब तक कि आप भगवान विष्णु के शालिग्राम और ऋषिकेष स्वरूप की पूजा न कर लें.
  2. भगवान शालिग्राम की पूजा के समय पितरों का श्राद्ध भी करते हैं.
  3. इस दिन पूजा में आपको पीले फूल, तुलसी के पत्ते, गंगाजल और फल का उपयोग जरूर करना चाहिए.
  4. यदि आपको व्रत रखना है तो एक दिन पूर्व से ही सात्विक भोजन करें. लहसुन, प्याज आदि छोड़ दें. वैसे भी पितृपक्ष में तामसिक भोजन वर्जित है.
  5. 22 सितंबर को जब व्रत पूरा हो जाए तो आप चावल, दही, चांदी और तांबा में से किसी भी एक चीज का दान किसी गरीब ब्राह्मण को कर दें.
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