लाइफ़स्टाइल डेस्क। मत्स्यासन आसान इम्युनिटी मजबूत करने के साथ ही हड्डियों व मांसपेशियों जुड़ी बीमारियों के लिए रामबाण है। इसका नियमित अभ्यास हमें निरोगी बनाने में करता है मदद। यह ऐसा आसन है कि अगर इसे पानी में किया जाए तो शरीर मछली कि तरह तैरने लग जाता है, इसलिए योग में इसे मत्स्यासन कहते हैं।
करने की विधि:
- पीठ के बल लेट जाएं और अपने हाथों व पैरों को शरीर के साथ जोड़ लें।
- हाथों को कूल्हों के नीचे रखें और हथेलियों का स्पर्श जमीन पर रखें। दोनों कोहनियों को एक साथ जोड़ लें।
- अब धीरे-धीरे सांस को अंदर खींचते हुए छाती व सिर को उठाएं। इसके उपरांत छाती को उठाएं और सिर को पीछे कि ओर लें व सिर की चोटी को जमीन पर लगाएं।
- सिर को जमीन पर आराम से छूते हुए, अपनी कोहनियों को जमीन पर दबाएं। अब सारा भार कोहनियों पर डालें। फिर अपनी छाती को ऊंचा उठाएं।
- जंघा और पैरों को जमीन पर दबाएं। जब तक हो सके, इस आसन में रहें और लंबी गहरी सांसें लेते रहें। हर बार बाहर जाती हुई सांस के साथ विश्राम लें।
- सिर को ऊपर उठाएं, छाती को नीचे करते हुए वापस आएं। दोनों हाथों को वापस शरीर के दायें-बाएं लगा लें और विश्राम करें।
फायदे:-
- छाती गर्दन व में खिंचाव पैदा करता है।
- गर्दन व कंधों जकड़ी हुई मांसपेशियों के तनाव को समाप्त करता है।
- यह आसन सांस से संबंधित समस्याओं का निवारण करता है। इससे फेफड़ों को मजबूती मिलती है।
- मत्स्यासन पैराथाइरॉइड, पीनियल व पिटिट्यूरी ग्रंथि को स्वस्थ रखता है।
योगाचार्य से लें सलाह: योग का हर आसन सेहत के लिए अलग-अलग तरह के फायदे देता है लेकिन कई बार कुछ बीमारियों के कारण कुछ आसनों को करने से बचना चाहिए। इसलिए बेहतर है कि योग करने से पहले किसी योगाचार्य से सलाह जरूर ले लें। यदि आपको उच्च या निम्न रक्तचाप की समस्या है तो यह आसन न करें। माइग्रेन और कुछ दिमाग संबंधी बीमारियों के रोगियों को इससे बचना चाहिए। जिन लोगों को कमर या गर्दन में चोट है, उन्हें भी यह आसान नहीं करना चाहिए।