नई दिल्ली। जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी (Maulana Mahmood Madani) ने शुक्रवार को कहा कि मुस्लिम समाज और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के बीच बातचीत बेहद ज़रूरी है। उन्होंने संवेदनशील धार्मिक मुद्दों पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की हालिया टिप्पणियों का स्वागत किया। इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ का जिक्र करते हुए उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत किसी भी दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है।
एएनआई से बातचीत में मौलाना मदनी (Maulana Mahmood Madani) ने कहा, “भारत को मजबूती से खड़ा होना चाहिए। हम आधी रोटी खाएंगे, लेकिन झुकेंगे नहीं। कोई समझौता नहीं होना चाहिए। अगर समझौता हो भी तो बराबरी पर होना चाहिए। हम टैरिफ पर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के रुख का समर्थन करते हैं।”
आरएसएस प्रमुख की सराहना
ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा-काशी विवाद पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान का उल्लेख करते हुए मदनी ने कहा कि ऐसे मुद्दों पर बातचीत को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। उन्होंने कहा, “बहुत सारे किंतु-परंतु हैं। मेरे संगठन ने प्रस्ताव पारित किया है कि बातचीत होनी चाहिए। मतभेद हैं, लेकिन उन्हें कम करने की जरूरत है। आरएसएस प्रमुख ने हाल ही में ज्ञानवापी और मथुरा-काशी पर जो बयान दिया, वह मुस्लिम समुदाय तक पहुंचने का प्रयास है और इसकी सराहना की जानी चाहिए। हम हर तरह की बातचीत का समर्थन करेंगे।”
इससे पहले भागवत ने कहा था कि संघ ने आधिकारिक रूप से केवल राम मंदिर आंदोलन का समर्थन किया था, जबकि काशी और मथुरा से जुड़े आंदोलनों में सदस्य अपनी व्यक्तिगत भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने भारत में इस्लाम की स्थायी उपस्थिति पर जोर देते हुए जनसांख्यिकीय संतुलन के लिए हर भारतीय से तीन बच्चे पैदा करने की अपील की थी और असंतुलन के लिए धर्मांतरण व अवैध प्रवासन को जिम्मेदार ठहराया था।
पहलगाम हमला देश के लोगों में अशांति फैलाने की साजिश थी
मौलाना मदनी (Maulana Mahmood Madani) ने हाल ही में राजनीतिक विमर्श की भाषा में आई गिरावट पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सत्ता और विपक्ष दोनों ही दलों के नेता अनुचित भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। पहलगाम आतंकी हमले की साजिश का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “अगर यह घटना किसी और देश में होती तो बड़ा बवाल मच जाता। पहलगाम हमले को विफल करने में देश के नागरिक समाज की अहम भूमिका रही। यह हमला देश के लोगों में अशांति फैलाने की साजिश थी, जिसे हमने नाकाम कर दिया।”
उन्होंने आगे कहा, “ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने के बाद विपक्ष ने भी सरकार का समर्थन किया। अपने सशस्त्र बलों का समर्थन करना हमारा कर्तव्य है। मौजूदा सरकार की सुरक्षा नीति पिछली सरकारों से बेहतर है। कानून प्रवर्तन एजेंसियां ज्यादा पेशेवर हो गई हैं, लेकिन उन्हें और अधिक समावेशी होना चाहिए।”