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मौनी अमावस्या के दिन जरूर करें ये एक काम, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद

Mauni Amavasya

Mauni Amavasya

पंचांग के अनुसार, माघ माह में पड़ने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) कहा जाता है। हर अमावस्या तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी जाती है। इस दिन गंगा स्नान और दान किया जाता है। साथ ही पितरों को तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। माघ माह की अमावस्या तिथि 9 फरवरी शुक्रवार को पड़ रही है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के दिन पितरों की पूजा करने से वे प्रसन्न होकर अपनी कृपा परिवार पर बरसाते हैं।

यदि किसी व्यक्ति से पूजा-पाठ के दौरान कोई गलती हो जाती है, तो पितर नाराज हो जाते हैं। ऐसे में उस व्यक्ति कष्टों का सामना करना पड़ता है। अगर आप पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं और उनका आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के दिन तर्पण के समय पितृ स्तोत्र का पाठ जरूर करें। ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।

पितृ स्तोत्र

अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।

नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम् ॥

इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।

सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् ॥

मन्वादीनां मुनीन्द्राणां सूर्याचन्द्रमसोस्तथा ।

तान् नमस्याम्यहं सर्वान् पितृनप्सूदधावपि ॥

नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा।

द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि: ॥

देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।

अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येsहं कृताञ्जलि: ॥

प्रजापते: कश्यपाय सोमाय वरुणाय च ।

योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ॥

नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।

स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ॥

सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।

नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ॥

अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।

अग्नीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत: ॥

ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्निमूर्तय:।

जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ॥

तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतमानस:।

नमो नमो नमस्ते मे प्रसीदन्तु स्वधाभुज: ॥

पितृ के मंत्र

ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।

ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।

नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।

ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि।

शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।

गोत्रे अस्मतपिता (पितरों का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम

गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।

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