बहुजन समाज पार्टी एक बार फिर से सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर विचार कर रही है। इसको परखने के लिए सबसे पहले ब्राह्मणों की नब्ज पर हाथ रखने की कवायद शुरू की गई है। इसके लिए ब्राह्मण सम्मेलनों से आगाज करने की तैयारी की गई है। बसपा फिर उसी नारे को जिंदा करने की कोशिश कर रही है कि ‘ब्राह्मण शंख बजाएगा हाथी बढ़ता जाएगा।’
साल 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा को मिली सफलता का राज सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला था। इसमें बसपा सुप्रीमो मायावती ने जहां जिस क्षेत्र में जिसका बाहुल्य था उसी जाति के आधार पर टिकटों का वितरण किया था।
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ब्राह्मण ठाकुर जाट यादव सभी को इस फार्मूले में फिट किया गया था। उसी का परिणाम रहा कि बसपा को अप्रत्याशित सफलता मिली और सूबे में पूर्ण बहुमत से सरकार बन गई ।
पिछले दो चुनावों में सत्ता से बहुत दूर हुई बसपा फिर से उसी फार्मूले पर लौटने की कवायद कर रही है। हालांकि पिछले 10 सालों में या दो चुनावों में बसपा ने यह कोशिश की थी पर फेल रही थी। इसलिए इस बार पहले इस पर विस्तृत मंथन करने की बात कही जा रही है।
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सबसे पहले ब्राह्मणों की नब्ज टटोलने को कहा गया है । इसके लिए अयोध्या में शुरुआत की जा रही है। सम्मेलन 23 जुलाई से अयोध्या से शुरू होगा। सतीश चंद्र मिश्रा अयोध्या में मंदिर दर्शन से ब्राह्मणों को जोड़ने की कवायद करेंगे। इसके बाद अन्य जिलों में भी यह मंथन होगा