नई दिल्ली। नर्मदा बचाओ आंदोलन में एक्टिव रहने वाली मेधा पाटकर (Medha Patkar) को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। मानहानि के मामले में दक्षिण पूर्वी दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है। एलजी विनय सक्सेना ने मेधा पाटकर के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया है। दोपहर 1 बजे उन्हें साकेत कोर्ट में पेश किया जाएगा। समाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के वकील ने दिल्ली हाई कोर्ट से अपनी याचिका वापस ली है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने मेधा पाटकर (Medha Patkar) के वकील ने नई याचिका दाखिल करने की इजाज़त दी है। दिल्ली हाई कोर्ट मेधा पाटकर की नई याचिका पर आज ही सुनवाई करेगा। साकेत कोर्ट ने प्रोबेशन बांड जमा करने और 1 लाख रुपये का जुर्माना भरने के आदेश का जानबूझकर उल्लंघन करने के आरोप में मेधा पाटकर के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया।
मेधा पाटकर (Medha Patkar) ने निचली अदालत की ओर से जारी NWB के आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। मानहानि मामले में साकेत कोर्ट द्वारा जारी गैरजमानती वारंट की तामिल करते हुए दिल्ली पुलिस ने मेधा पाटकर को गिरफ्तार किया है। मामले की सुनवाई कर रहे जज विशाल सिंह आज उपलब्ध नहीं है इसलिए कोर्ट के सामने पेशी की जाएगी।
कोर्ट ने कहा कि दोषी की मंशा स्पष्ट है कि वह जानबूझकर अदालत के आदेश का उल्लंघन कर रही है। वह अदालत के सामने उपस्थित होने से बच रही है और अपने खिलाफ आरोपित सजा की शर्तों को स्वीकार करने से भी बच रही हैं। इस अदालत द्वारा 8 अप्रैल को पारित सजा के निलंबन का कोई आदेश नहीं है।
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कोर्ट ने कहा कि उसके पास बलपूर्वक आदेश के जरिए से उन्हें कोर्ट में पेश करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प मौजूद नहीं था। कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगली तारीख के लिए दिल्ली पुलिस के पुलिस आयुक्त के कार्यालय के द्वारा मेधा पाटकर के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी करें। एनबीडब्ल्यू और आगे की कार्यवाही पर रिपोर्ट 3 मई को पेश करें।
कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित पुनरीक्षण याचिका का हवाला देते हुए पाटकर के स्थगन अनुरोध में कोई सार नहीं है। दिल्ली हाई कोर्ट के 22 अप्रैल के आदेश में ऐसा कोई निर्देश नहीं है कि दोषी मेधा पाटकर को 8 अप्रैल के सजा के आदेश का पालन करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्तमान आवेदन तुच्छ, शरारती है और केवल अदालत को धोखा देने के लिए तैयार किया गया है और कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
मेधा पाटकर और वी।के। सक्सेना दोनों साल 2000 से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, जब मेधा पाटकर ने उनके और नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए वी।के। सक्सेना के खिलाफ मुकदमा दायर किया था।