केंद्र सरकार के सबसे बड़े विधि अधिकारी एटर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने मीडिया ट्रायल को लेकर उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को गम्भीर चिंता जतायी और कहा कि लंबित मामलों में मीडिया की बेतुकी टिप्पणियां अदालत की अवमानना के समान है।
श्री वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष प्रशांत भूषण के खिलाफ 2009 के अवमानना मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि लंबित मामलों पर मीडिया की टिप्पणी न्यायाधीशों की सोच को प्रभावित करने का एक प्रयास है, जो अदालत की अवमानना के बराबर है।
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उन्होंने कहा कि श्री भूषण के खिलाफ 2009 के अवमानना मामले में शीर्ष अदालत द्वारा तैयार कानून के सवालों के साथ- साथ इन मुद्दों पर भी विचार करने की आवश्यकता है। एटर्नी जनरल ने कहा, “लंबित मामलों के मुद्दे पर भी विचार करने की आवश्यकता है। आज, प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया स्वतंत्र रूप से लंबित मामलों पर टिप्पणी कर रहे हैं, न्यायाधीशों और सार्वजनिक धारणा को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। यह संस्था को बहुत ही नुकसान पहुंचा रहा है।”
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श्री वेणुगाेपाल ने कहा कि शीर्ष अदालत पहले भी साफ कर चुका है कि विचाराधीन मामले पर किसी भी किस्म की प्रतिक्रिया देने की कोशिश करना अदालत की अवमानना है। उन्होंने मौजूदा मीडिया की स्थिति पर कड़ी टिप्पणी करते हुए अदालत से मीडिया की भूमिका की जांच करने का आग्रह किया।