नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि द्वारा दायर की गई याचिका पर निर्देश जारी किया है। कहा है कि टूलकिट मामले में की गई मीडिया कवरेज सनसनीखेज और पूर्वाग्रह पर आधारित थी। बता दें कि दिशा ने अपनी याचिका में मांग की थी कि कोर्ट दिल्ली पुलिस को निर्देश दे कि वह मीडिया को टूलकिट मामले की जांच संबंधी जानकारी लीक न करे।
याचिका में इस 21 वर्षीय कार्यकर्ता ने कहा कि जांच की लीक हुई जानकारियों को लेकर दिल्ली पुलिस और मीडिया उन्हें जमकर निशाना बना रही है। हालांकि पुलिस ने इस आरोप को खारिज कर दिया है। मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद न्यायमूर्ति प्रथिबा सिंह ने दिल्ली पुलिस से कहा कि वह कानून के अनुसार प्रेस ब्रीफिंग कर सकती हैं।
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वहीं अदालत ने आगे निर्देश दिया, मीडिया यह सुनिश्चित करेगा कि उनकी खबरें सत्यापित और प्रामाणिक स्रोतों से प्राप्त हों। संपादकीय टीमें यह सुनिश्चित करें कि प्रसारित होने वाली सामग्री प्रमाणित हो। साथ चैनल संपादक अपने कंटेंट पर नियंत्रण रखें ताकि जांच में बाधा न आए। कोर्ट ने यह भी कहा कि मीडिया यह सुनिश्चित करने में बहुत अहम भूमिका निभाता है कि कोई सनसनीखेज घटना न होने पाए, लेकिन हालिया कवरेज से पता चलता है कि उसने खुद सनसनीखेज और पूर्वाग्रही रिपोर्टिग की है।
वहीं कोर्ट ने याचिकाकर्ता को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि वह सुनिश्चित करें कि उनसे जुड़े लोग अनावश्यक या निंदा करने वाले बयान देने से बचें। कार्यवाही के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी.राजू ने कोर्ट से कहा कि पुलिस पर लगाए गए आरोप झूठे हैं और मामले से जुड़ी ऐसी कोई जानकारी मीडिया के साथ साझा नहीं की गई है।
उन्होंने कहा कि लीक हुआ संदेश 3 फरवरी का है, जबकि उसे 10 दिन बाद गिरफ्तार किया गया था। उसने यह मैसेज लोगों को भेजा और इसे पुलिस को बदनाम करने के लिए इस्तेमाल किया। यह जांच एजेंसियों पर दबाव बनाने का एक सिस्टेमेटिक प्रयास है। बता दें कि दिशा रवि को किसान विरोध से संबंधित एक टूलकिट को संपादित करने और सोशल मीडिया पर शेयर करने के लिए पिछले हफ्ते बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था।