उत्तर प्रदेश से दस खिलाड़ी टोक्यो ओलिंपिंक में हिस्सा लेंगे। ये सभी तैयारियों को अंतिम धार देने में जुटे हैं। इसी कड़ी में मेरठ की एक बेटी अब टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।
भाला फेंक चैंपियन अन्नू रानी वर्ल्ड एथलीट रैंकिंग सिस्टम के आधार पर ओलंपिक के लिए चयनित हुई हैं। मेरठ की रहने वाली अन्नू रानी कभी गन्ने को भाला बनाकर प्रैक्टिस करती थी। कभी वो चंदे से इकट्ठा हुई रकम से जूता खरीदती थी, तो कभी सेहत अच्छी रखने के लोग उसे गाय दान कर देते थे। 12 साल के खेल कॅरियर में आर्थिक समस्याओं को दरकिनार कर अन्नू ने अपने लाजवाब प्रदर्शन की बदौलत आखिरकार ओलंपिक का टिकट हासिल कर ही लिया। उधर, मेरठ के बहादुरपुर गांव की अन्नू से आज के बच्चे अब प्रेरणा लेते हैं। वो भी उस जैसा बनना चाहते हैं।
बहादुरपुर गांव की रहने वाली बहादुर अन्नू टोक्यो ओलंपिक में भारत का तिरंगा शान से लहराने को बेताब हैं। अन्नू ने कितना संघर्ष किया इसका अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि एक समय में उसके पास ढंग के जूते भी नहीं थे। तो चंदा मिलाकर जूता दिलाया जाता था। यही नहीं मेरठ में स्वामी विवेकानन्द ने उन्हें गाय दान की थी। ताकि अन्नू की सेहत अच्छी रहे।
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यही नहीं जिस ग्राउंड में अन्नू प्रैक्टिस करती थी। उसे गांव की भाषा में चकरोड़ कहते हैं। इसी चकरोड़ पर अन्नू पहले भाला जोर से फेंकती फिर उसे खेतों में ढूंढती. लेकिन वक्त का पहिया देखिए। संघर्ष का इनाम देखिए कि आज खेत में भाला फेंकने की प्रैक्टिस करने वाली बिटिया टोक्यो ओलंपिक जाकर देश का प्रतिनिधित्व कर भारत का तिरंगा शान से लहराने को बेताब हैं।
किसान पिता और पूरा परिवार बार बार यही कहता है कि उन्हें अपनी बेटी पर नाज है। बता दें कि बहादुरपुर गांव की रहने वाली अन्नू रानी तीन बहन व दो भाइयों में सबसे छोटी है। किसान पिता अमरपाल सिंह के लिए बिटिया को डेढ़ लाख का भाला दिलवा पाना संभव नहीं था. मजबूरी में 25 सौ रुपये जुटाए और एक सस्ता सा भाला लिया। उसी भाले से अन्नू ने स्टेट लेवल तक के पदक जीते। अन्नू के किसान पिता कहते हैं कि बेटी जरूर पदक लेकर लौटेगी और देश का मान बढ़ाएगी।
अन्नू रानी की उपलब्धियां
1-2014 एशियाई गेम्स में कांस्य पदक
2-2014 कामनवेल्थ गेम्स में प्रतिभागी रहीं
3- 2015 में एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य पदक
4- 2017 में एशियाई चैंपियनशिप में रजत पदक
5-साथ ही वो वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में फाइनल में जगह पक्की करने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनकर देश का नाम रौशन करने को तैयार हैं.









