कालाष्टमी (Kalashtami) भगवान काल भैरव को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है जो हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भगवान शिव के उग्र रूप, काल भैरव की पूजा के लिए विशेष महत्व रखता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से सभी प्रकार के भय और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। यह व्रत शनि और राहु के बुरे प्रभावों को कम करने में भी सहायक माना जाता है।
काल भैरव को न्याय का देवता भी माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा से भक्तों को सुरक्षा और आशीर्वाद मिलता है। इस दिन व्रत और दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है। कल कालाष्टमी है, और आप इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 20 मई दिन मंगलवार को सुबह 05 बजकर 51 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 21 मई दिन बुधवार को सुबह 04 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, कालाष्टमी (Kalashtami) का व्रत 20 मई दिन मंगलवार को रखा जाएगा।
कालाष्टमी (Kalashtami) की पूजा विधि
– सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। कालाष्टमी व्रत का संकल्प लें।
– एक साफ चौकी पर भगवान काल भैरव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
– भगवान भैरव को फूल (विशेषकर नीले या काले), माला, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
– भगवान भैरव के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
– भगवान भैरव को इमरती, जलेबी, उड़द के बड़े या अपनी श्रद्धा अनुसार किसी भी मिठाई का भोग लगाएं।
– कालाष्टमी व्रत की कथा पढ़ें या सुनें और भगवान काल भैरव की आरती करें।
– पूजा के अंत में अपनी भूल-चूक के लिए क्षमा प्रार्थना करें।
– यदि संभव हो तो काले कुत्ते को भोजन कराएं, क्योंकि यह भगवान भैरव का वाहन माना जाता है।
मंत्र जाप करने के नियम
कालाष्टमी के दिन पूजा के समय मंत्र जाप करते समय तन और मन दोनों शुद्ध होने चाहिए। स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शांत और एकाग्र मन से मंत्र जाप करें। मंत्रों का सही उच्चारण करना महत्वपूर्ण है। यदि आपको उच्चारण में संदेह है तो किसी जानकार व्यक्ति से मार्गदर्शन लें। आप अपनी श्रद्धा और समय के अनुसार निश्चित संख्या में मंत्रों का जाप कर सकते हैं (जैसे 108 बार)। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है। यदि आप अधिक संख्या में जाप कर रहे हैं तो रुद्राक्ष या तुलसी की माला का उपयोग कर सकते हैं।