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ढाबों पर हो रही है मिथाइल अल्कोहल की सप्लाई, जानिए क्यों है इतनी घातक

methyl alcohal

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लखनऊ। राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों में ढाबों में इथाइल अल्कोहल के धोखे मिथाइल केमिकल सप्लाई की जा रही है। बता दें कि मिथाइल केमिकल मौत का ही एक पर्याय है। असल में शराब में इथाइल अल्कोहल के मिश्रण से ही उसमें नशा होता है। लेकिन मिथाइल केमिकल से बनी शराब बनाने में कम लागत आने के कारण ढाबों पर उसका चलन बढ़ रहा है। हरियाणा, पंजाब और असम को आने और जाने वाले टैंकर चालक ढाबों पर इथाइल अल्कोहल की जगह मिथाइल केमिकल की बिक्री करते हैं। यहां से सस्ते में यह केमिकल खरीदकर शराब का अवैध कारोबार करने वाले लोग तीब्र नशे के लिए शराब में इसका मिश्रण करके तैयार करते हैं। जिसके कारण लोगों की जान जा रही है। पुलिस कमिश्नर लखनऊ डीके ठाकुर के निर्देश पर पुलिस और आबकारी विभाग की टीमें इस पर लगाम लगाने के लिए ढाबों और शराब की दुकानों पर दबिश दे रही हैं। बीते दिनों लखनऊ, प्रयागराज और फिरोजाबाद में इसी के कारण घटनाएं हुई हैं।

अभिनेत्री निहारिका रायजादा ने एक नई पहल पर की बातचीत ।

रंग-रूप और गंध में होता है एक सा

विशेषज्ञों के अनुसार शराब में इथाइल अल्कोहल का मिश्रण होता है। जिसके कारण शराब में नशा होता है। वहीं, मिथाइल केमिकल का प्रयोग सूबे में स्थित पेंट, टॉयलेट क्लीनर, थिनर और अन्य केमिकल इंडस्ट्रियल प्रॉडक्ट बनाने में प्रयोग किया जाता है। मिथाइल की डिस्टलरी (बनाने की फैक्ट्री) हरियाणा, पंजाब और असोम हैं। उत्तर प्रदेश में एक भी नहीं है। मिथाइल और इथाइल दोनों रंग रूप और गंध में एक जैसे होते हैं। इनके टैंकर चालक जब ढाबों पर रुकते हैं तो वह चंद रुपयों के लालच में इथाइल बताकर इसकी बिक्री करके चले जाते हैं। इसके बाद ढाबों से अवैध शराब का कारोबार करने वाले लोग इसकी खरीदारी करके ले जाते हैं। शराब बनाते समय अथवा दुकानों से ली हुई शराब में इसका मिश्रण करते हैं।

इसके मिश्रण वाली शराब पीते ही चली जाती हैं आंखों की रोशनी और फिर होती है मौत

मिथाइल केमिकल के मिश्रण वाली शराब पीते ही लोगों की आंखों की सबसे पहले रोशनी चली जाती है। इसके बाद उनके फेफड़े, हार्ट और लीवर पर इसका सीधा असर पड़ता है। जिससे उनकी मौत हो जाती है। यह केमिकल बहुत ही खतनाक है।

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त्योहारों और चुनाव के समय अक्सर होती हैं जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत

त्योहारों और चुनाव के समय देशी और विदेशी मदिरा की खपत बढ़ जाती है। शराब की खपत पूरी नहीं हो पाती। इस लिए गांवों के लोग दुकानों से पहले शराब पीते हैं अथवा भट्टी में कच्ची शराब बनाने का तेजी से काम शुरू करते हैं। दुकानों से ली हुई शराब की अन्य बोतलों में कटिंग करके उसमें मिथाइल केमिकल मिला देते हैं और घरों से शराब की बिक्री करते हैं। जो लोग इन अवैध कारोबार करने वालों से शराब पीते हैं वही लोग मौत का शिकार होते हैं।

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