लखनऊ। सुरक्षित व सुविधाजनक सफर कराने वाली लखनऊ मेट्रो ने गुरुवार को दो घंटे ट्रैक पर फंस गई। आटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम(एटीएस) में तकनीकी खराबी के चलते मेट्रो संचालन का पूरा सिग्नल ही फेल हो गया।
इससे लखनऊ विश्वविद्यालय स्टेशन पर मेट्रो के पहिए थम गए। खामी को पकड़ने में मेट्रो प्रशासन को करीब दो घंटे लग गए तब तक पूरे रूट पर अप और डाउन की सभी 16 ट्रेन रोक दी गई। जहां-तहां ट्रैक पर पहुंंची ट्रेन को रोकने से यात्री मेट्रो में ही कैद रहे। सिग्नलिंग प्रणाली के इलेक्ट्रॉनिक स्विच में गड़बड़ी से संचालन प्रभावित हुआ। देर शाम करीब छह बजे समस्या दूर की जा सकी। इसके घंटे भर बाद ही संचालन सामान्य हो सका।
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एयरपोर्ट से मुंशीपुलिया के बीच दोनों ओर से प्रतिदिनि की तरह मेट्रो को संचालन हो रहा था। मगर दोपहर करीब साढे तीन बजे लविवि मेट्रो स्टेशन पर ट्रेन आगे नहीं बढ़ी। पहले ट्रेन आपरेटर ही समस्या को दूर करने में लगे रहे। इस दौरान करीब 40 मिनट तक मेट्रो खड़ी रही। यात्री परेशान होने लगे। एलएमआरसी का कोई भी अधिकारी जवाब नहीं दे पा रहा था। बाद में मेट्रो आपरेशन से जुडे अधिकारियों तक बात पहुंची। आनन-फानन में आपरेशन व इंजीनियरिंग की टीम समस्या पता करने में लग गई।
नजदीकी स्टेशन तक ले जायी गयी मेट्रो
लविवि मेट्रो स्टेशन पर मेट्रो आगे न बढ़ने पर दोनों ओर से ट्रेनों का संचालन रोक दिया गया। हुसैनगंज में ट्रैक पर ही मेट्रो रूकने से लोग कैद होकर रह गए। ट्रेन कब तक चलेगी यह कोई नहीं बता रहा था। परेशान यात्री अपने परिवारजनों को फोन कर हाल बताने लगे। यात्रियों की ओर से दी गई सूचना के अनुसार ट्रैक पर खड़ी मेट्रो को नजदीकी स्टेशन तक ले जाया गया।
किसी की फ्लाइट छूटी तो किसी की ट्रेन
शहर में मेट्रो का संचालन शुरू होने से अब तक दर्जनों बार से ज्यादा संचालन रूक चुका है। कभी पतंग तो कभी सिग्नलिंग सिस्टम फेल होने से यात्रियों को भरोसा टूटा है। लविवि मेट्रो स्टेशन पर मेट्रो के आगे न बढ़ने पर कुछ देर तक तो यात्री इंतजार करते रहे। लेकिन कोई जवाब न मिलने पर मेट्रो के अधिकारियों से संपर्क करना शुरू कर दिया। एक यात्री की मुंबई जाने की फ्लाइट छूट गयी। लविवि स्टेशन पर दो घंटे तक फंसे रहने से समय से एयरपोर्ट नहीं पहुंच सके। लविवि की प्रोफेसर भी परेशान हुई।
उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के डायरेक्टर आपरेशन की ओर से बताया गया कि सिग्नलिंग सिस्टम में खराबी के कारण ट्रेन के संचालन को 27 मिनट के लिए रोक दिया गया था, जिसके कारण ट्रेनों को स्वचालित मोड के बजाय मैनुअल मोड में किये जाने से ट्रेनों के संचालन में देरी हुई। जांच करने पर यह पाया गया कि सिग्नलिंग प्रणाली के इलेक्ट्रॉनिक स्विच में गड़बड़ी आ गयी थी। जिसे बाद में सुधार लिया गया था। इस दौरान निदेशक परिचालन सहित परिचालन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी केंद्रीयकृत आपरेशन नियंत्रित केंद्र में स्थिति की लगातार निगरानी कर रहे थे।