त्योहारो के मौके पर दूध, घी, तेल समेत कई खाद्य सामग्रियों में अनेक प्रकार की मिलावट की जा रही है। यह मामला आगरा में पाया जा रहा है खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने बीते साल 738 नमूनों में से 361 नमूने फेल पाए गए। इनमें 47 नमूने नकली पाए गए।
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) की जांच में सबसे ज्यादा दूध और इससे निर्मित सामग्री के नमूने फेल मिले। 2019-20 में दूध प्रोडक्ट के 166 में से 73 नमूनों में मिलावट पाई गई। इसमें दूध सिंथेटिक और घी नकली मिला।
सुपारी-पान मसाला, नमक, चाय की पत्ती, पानी, ब्रेड, बेकरी प्रोडक्ट समेत 54 सामग्रियों के नमूने फेल मिले। सब्जी पर रंग और फलों पर मोम लगा पाया गया। इस साल भी 235 में से 140 से अधिक नमूने फेल मिले हैं। इसमें भी दूध, पनीर, घी, नमकीन, तेल, रिफाइंड समेत अन्य सामग्री हैं।
738 नमूनों की मिली रिपोर्ट, 361 नमूने कुल हुए फेल, 298 नमूनों में मिलावट, 47 नमूने नकली, 16 मिस ब्रांड पाए गए। इसमें दूध के 73, खोआ के 16, पनीर के 16, घी के 8, सरसों के तेल के 33, रिफाइंड ऑयल के 15, मसालों के 15, दालों के 8, मिठाई के 22 और नमकीन के 26 नमूने फेल हुए।
जिला अभिहित अधिकारी मनोज वर्मा ने बताया कि बीते साल जांच में नकली मिले सभी नमूनों पर जिम्मेदार के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया गया है। जुलाई के 56 मामलों में एक महीने का वेटिंग पीरियड खत्म होने पर मुकदमा दर्ज कराएंगे। लोगों से अपील है कि सामान में मिलावट की आशंका हो तो विभाग में शिकायत करें।
एसएन मेडिकल कॉलेज के फिजीशियन डॉ. आशीष गौतम ने बताया कि दूध, घी-तेल में मिलावट लोगों के पेट में अल्सर कर देती है, पाचनतंत्र बिगड़ जाता है। सिंथेटिक दूध से बच्चों का शारीरिक विकास प्रभावित होता, हड्डियां कमजोर होती हैं, लंबाई भी कम रहने का खतरा है।