नई दिल्ली| कोरोना संकट के चलते इस बार छात्र विदेश पढ़ने के लिए नहीं जा पा रहे हैं। इस मौके का फायदा उठाते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ‘स्टे इन इंडिया और स्टडी इन इंडिया’ का नया नारा दिया है। यानी भारत में रहकर भारत में ही पढ़ो।
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‘स्टडी इन इंडिया’ मंत्रालय का एक प्रोग्राम है जिसमें विदेश छात्रों को आकृष्ट कराया जाता है। अब इसे व्यापक बना दिया गया है ताकि ऐसे भारतीय छात्रों को जोड़ा जा सके जो विदेशों में पढ़ रहे हैं या जाने की तैयारी कर रहे हैं। इस मुद्दे पर मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने शीर्ष अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की। मंत्रालय ने नारे को साकार करने को लेकर लेकर एक कमेटी बनाई गई है जिसे 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट देनी है।
इस दौरान निशंक ने कहा, ‘कोविड महामारी से पैदा हुई स्थिति की वजह से विदेश में पढ़ाई करने की चाह रखने वाले कई छात्रों ने भारत में रहने का फैसला लिया है। कई ऐसे छात्र जो विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं वे भारत आना चाहते हैं। मंत्रालय को दोनों ही तरह के छात्रों को घ्यान में रखकर उनकी जरूरतों को पूरा करने की तमाम कोशिशें करनी चाहिए।
बैठक में विदेश जाने की चाह रखने वाले छात्रों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ऐसे कदम उठाने और ऐसे अवसर देने के फैसले लिए गए हैं जिसके तहत उन्हें भारत में रोका जा सके। इसके लिए मंत्रालय उन्हें भारत के सर्वोत्तम संस्थानों में पढ़ाई का मौका देने की तैयारी करने वाला है। वहीं, विदेश में पढ़ रहे ऐसे छात्र जो भारत लौटना चाहते हैं उन्हें उनका प्रोग्राम पूरा करने में मदद भी प्रदान की जाएगी।
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कमेटी तय करेगी दिशानिर्देश:
यूजीसी के चेयरमैन डीपी सिंह के नेतृत्व में कमेटी बनाकर उसे दिशानिर्देश तैयार करने को कहा गया है। ताकि भारत लौटने के इच्छुक छात्रों को मौका मिले। आईआईटी, एनआईटी, आईआईआईटी, काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर और केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की अलग से सब कमेटी बनाई जानी है। ये कमेटियां यूजीसी और एआईसीटीई के चेयरमैन की सहायता करेंगी।
50 फीसदी सीट बढ़ेगी:
केंद्र सरकार की घोषणा के मुताबिक साल 2024 तक केंद्र के सभी शीर्ष संस्थानों में 50 फीसदी सीटें बढ़ाई जाएंगी। मंत्रालय के मुताबिक पिछले साल साढ़े सात लाख छात्र शिक्षा अर्जित करने विदेश गए जिससे बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च हुई।