Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

गांवों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ने से शहरों में मामूली सुधार

बेरोजगारी दर

बेरोजगारी दर

नई दिल्ली। देश के गांवों में खरीफ की बुवाई का सीजन खत्म होने से बेरोजगारी बढ़ने लगी है। वहीं, शहरों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ने से बेरोजगारी कम हुई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। रिपोर्ट के अनुसार, 19 जुलाई को खत्म हफ्ते में देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 7.94 फीसदी हो गई। इसके पिछले हफ्ते में बेरोजगारी दर 7.44 फीसदी थी। इस दौरान ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी दर बढ़कर 7.1 फीसदी हो गई, जबकि इसके पिछले हफ्ते में यह 6.34 फीसदी थी। वहीं, शहरों में बेरोजगारी दर 9.92% से घटकर 9.78% पर आ गई।  ग्रामीण बेरोजगारी बढ़ने से ही कुल बेरोजगारी में बढ़त हुई है।

इसे कहते हैं वफ़ादारी : 80Km का सफर तय कर अपने पुराने घर पहुंचा डॉगी, मालिक भी हैरान

सीएमआईई के अनुसार, जून महीने में शहरों के मुकाबले गांवों में बेरोजगारी दर कम थी। इसकी वजह  मनरेगा और खरीफ की बुआई के कारण ग्रामीण इलाकों में लोगों को रोजगार मिलना था। इस दौरान शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी दर 12.02 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी दर 10.52 फीसदी रही। इस साल खरीफ की बुआई में काफी तेजी देखने को मिली है। सीएमआईई के मुताबिक मई में मनरेगा के तहत मानव कार्यदिवसों की संख्या बढ़कर 56.5 करोड़ रही जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 53 फीसदी अधिक है। साथ ही यह 2019-20 के मासिक औसत से 2.55 गुना अधिक है।

गौरतलब है कि 25 मार्च को देशभर में लॉकडाउन लगने के बाद देश में अप्रैल महीने में 23.52 फीसदी की दर से रिकॉर्ड बेरोजगारी देखी गई। इसके बाद मई महीने में भी 23.48 फीसदी की बेरोजगारी देखी गई क्योंकि ज्यादातर आर्थिक गतिविधियां बंद थीं। मई के पहले हफ्ते तो बेरोजगारी दर 27.1 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। आंकड़ों के अनुसार अप्रैल महीने में करीब 12.2 करोड़ नौकरियां चली गई थीं।

यूनिक होने के साथ ही इंट्रेस्टिंग भी है फिल्म “हेलमेट” की कहानी- रोहन शंकर

अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले कुछ महीनों में ग्रामीण इलाकों और शहरी दोनों ही इलाकों में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। ग्रामीण इलाकों में बुआई का सीजन खत्म होने के करीब आ पहुंचा है। कई राज्यों में बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से लोग तबाह हैं और खेती-बाड़ी की गतिविधियां ठप पड़ गई हैं। इससे जो प्रवासी मजदूर खेती के काम में लग गए थे अब खाली हो गए हैं। वहीं, शहरी इलाकों में लॉकडाउन की वजह से काफी नुकसान हुआ है और धीरे-धीरे बाजारों के खुलने की वजह से तेज रिकवरी देखने को नहीं मिल रही है। इसके चलते आने वाले महीनों में श्रम बाजार में स्थिति चुनौतीपूर्ण होने वाली है।

Exit mobile version