लखनऊ। बैंकों के करीब 754.24 करोड़ रुपये हड़पने के मामले में बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी की मुश्किलें अब और बढ़ने वाली हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में जांच का दायरे बढ़ाया है, इसमें विनय तिवारी और इस मामले के और आरोपियों के अलावा बैंक के अधिकारियों की भूमिका की भी जांच होगी।
बैंकों में बतौर बंधक रखी गईं 32 संपत्तियों के बारे में भी विस्तार से जानकारी जुटाई जा रही है। बैंकों ने सीबीआइ को जो दस्तावेज सौंपे थे, उनमें गोरखपुर, लखनऊ, महाराजगंज व गौतमबुद्धनगर की कई संपत्तियों का जिक्र था। ईडी ने इन संपत्तियों का भी पूरा ब्योरा जुटाना शुरू कर दिया है।
इसके साथ ही रॉयल इंपायर मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और विधायक की फर्म गंगोत्री इंटरप्राइजेज के खातों में किए गए लेनदेन का ब्योरा भी जुटाया जा रहा है।
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बैंकों के करीब 754.24 करोड़ रुपये हड़पने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बैंक की आॅडिट रिपोर्ट हासिल कर ली है, जिसका परीक्षण कराया जा रहा है। इसके साथ ही विधायक विनय शंकर तिवारी व अन्य आरोपितों के बैंक खातों का ब्योरा भी खंगाला जा रहा है। ईडी मामले में अपना होमवर्क पूरा करने के बाद अगले सप्ताह आरोपितों को नोटिस देकर पूछताछ के लिए तलब करने की तैयारी में है।
बताया जा रहा है कि करोड़ों रुपये के बैंक फ्रॉड के मामले में विधायक विनय शंकर तिवारी व उनके परिवारीजन की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। इस मामले में सीबीआइ की एफआइआर को आधार बनाकर ईडी ने विनय शंकर, उनकी पत्नी रीता तिवारी व रॉयल इंपायर मार्केटिंग प्राइवेट मिमिटेड कंपनी के संचालक अजीत पांडेय समेत अन्य के विरुद्ध मनी लांड्रिंग का केस दर्ज कर जांच शुरू की है।
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वर्ष 2012 से 2016 के बीच बैंकों से करोड़ों रुपये का ऋण हासिल कर उसे हड़पने के मामले में अब 31 प्रमोटर और गारंटर के खातों व संपत्तियों की भी जांच होगी।
बैंक आफ इंडिया ने इस मामले की शिकायत सीबीआइ से की थी, जबकि उससे पूर्व बैंकों ने अपनी डूबी रकम वसूलने के लिए डेबिट रिकवरी ट्रिब्यूनल में भी शिकायत की थी।