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मोदी ने कब्रिस्तान बनाम श्मशान का मुद्दा उठाकर बदला चुनावी रुख

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में 2017 विधानसभा चुनाव के तीन चरण की वोटिंग हो चुकी थी और चौथे चरण की सीटों पर प्रचार अभियान जोरों पर था। ऐसे में पीएम मोदी ने फतेहपुर की रैली में कब्रिस्तान बनाम श्मशान का मुद्दा उठाकर चुनावी रुख को ही पूरी तरह से बदल दिया था। अब नीतीश कुमार ने बिहार के चुनावी रणभूमि में कब्रिस्तान की चारदीवारी का मुद्दा उठाकर सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है।

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्चुअल रैली ‘निश्चय संवाद’ को संबोधित करते हुए सोमवार को कहा था, हमसे पहले जिन लोगों ने बिहार में सत्ता चलाई उन्होंने क्या किया, कब्रिस्तान और मंदिरों का हाल ही देख लीजिए। हमने 8064 कब्रिस्तान चिन्हित किए और इनमें से 6299 की चारदीवारी का निर्माण कराने का काम किया। मंदिर से मूर्ति चोरी रोकने के लिए 226 मंदिरों की घेराबंदी करवाई।

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नीतीश कुमार ने कब्रिस्तान की चारदीवारी का जिक्र कर सीधे तौर पर बिहार के मुस्लिम मतदातों को सियासी संदेश देने की कोशिश की है। साथ ही मंदिर की घेराबंदी कर हिंदू वोटों को भी साधे रखने की रणनीति अपनाई है। इसीलिए उन्होंने मुस्लिमों के साथ-साथ हिंदुओं को यह बताने की कोशिश की है कि उनकी सरकार किसी एक धर्म के लिए नहीं बल्कि सभी धर्मों के लिए काम कर रही है।

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2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कब्रिस्तान और श्मशान का मुद्दा उठाकर यह बताने की कोशिश की थी कि तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार धर्म के आधार पर भेदभाव करती है।

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बिहार में राजनीतिक रणभूमि में बीजेपी और जेडीयू एक साथ खड़ी हैं। नीतीश कुमार के चेहरे को ही बीजेपी आगे कर चुनावी मैदान में उतर रही है। ऐसे बिहार में मुस्लिम मतदाता आरजेडी का परंपरागत वोटर माना जाता है। नीतीश का दोबारा से बीजेपी के साथ जाना मुस्लिमों को रास नहीं आ रहा है। ऐसे में मुस्लिम को नीतीश ने बताने की कोशिश की है बीजेपी के साथ रहते हुए भी लालू-राबड़ी से ज्यादा उनके लिए काम कर रहे हैं।

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