उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद के बिलारी क्षेत्र के स्योड़ारा गांव में शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा के समर्थन में सोशलिस्ट किसान सभा व अखिल भारतीय पंचायत संगठन के तत्तावधान में किसान महासभा का आयोजन किया गया।
महासभा को संबोधित करते हुये उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार ने तीन कानून बनाए। इसका अधिकार संविधान और संसद को नहीं, बल्कि राज्य सरकारों को है लेकिन राज्य सरकार भी एक महीने पहले बिल पेश करेंगी और संवैधानिक तरीके से बिल पास कराया जाएगा। अब सरकार ने कानून तो लागू कर दिए हैं और मूंछ की लड़ाई लड़ रही है। लेकिन किसान भी पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कृषि बिल को किसान विरोधी बताते हुए वापस लेने की मांग उठाई।
उन्होंने कहा कि 100 दिनों से किसान आंदोलन चल रहा है। 30 साल में अब तक तीन लाख पचास हजार किसानों ने आत्महत्या कर ली है। खेती अब घाटे का सौदा होकर रह गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता में आने पर स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने का भरोसा दिलाया था। कई राज्यों में गेहूं धान पर न्यूनतम मूल्य किसानों को मिलता था। लेकिन अब कानून लागू होने पर नहीं मिलेगा। कॉन्ट्रैक्ट पर खेती होगी।
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मैग्सेसे पुरस्कार विजेता संदीप पांडे ने कहा कि मोदी सरकार को पूंजीपतियों से प्रेम है। वह उनकी गुलामी कर रहे हैं। श्री मोदी उद्योगपति अडानी, अंबानी को लेकर नीतियां बनाते हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों को यूपी में नहीं मिलता, जो किसानों का अधिकार है। अब तो किसान कानून वापसी पर ही घर लौटेगा।