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मोदी सरकार ने सेना का मनोबल कम किया : पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी

एके एंटनी former Defence Min AK Antony

एके एंटनी

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर हुए आतंकी हमले की दूसरी बरसी पर कांग्रेस पार्टी ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की है। इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी  ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है। कहा कि देश पाकिस्तान और चीन दोनों मोर्चों पर युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर रहा है। इसके इतर मोदी सरकार ने सेना का मनोबल कम किया है।

पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा कि मुझे दुख है कि मोदी सरकार ने देश की सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं दे रही है। यह पहली बार है, जब भारत को एक साथ दो मोर्चों पर युद्ध जैसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। एक भारत-पाकिस्तान सीमा पर और दूसरा चीन के साथ पूर्वी लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं।

 थल सीमा ही नहीं जल सीमा पर भी चीन का खतरा बढ़ा

एंटनी ने कहा कि एक ओर पाकिस्तान हमारे देश में आतंकवादियों को भेज रहा है। तो दूसरी चीन अरुणाचल से लेकर लद्दाख तक कई प्वाइंट्स पर अतिक्रमण कर रहा है। साथ ही जवानों की भारी तैनाती किए हुए है। हमारी सेना 24 घंटे वहां मुस्तैद है, लेकिन सरकार सेना का समर्थन नहीं कर रही है। सेना का मनोबल नहीं बढ़ा रही है जबकि इस वक्त सेना को इसकी जरूरत है। चीन की नौसेना भी हमारी सीमा में घुसपैठ कर रही है। इस सबके बावजूद केंद्र सरकार ने सीमाओं की सुरक्षा के लिए जरूरी बजट में मामूली बढ़ोत्तरी की है। उन्होंने कहा कि थल सीमा ही नहीं जल सीमा पर भी चीन का खतरा बढ़ा हुआ है, लेकिन सरकार बजट में बढ़ोतरी नहीं करके सेना का मनोबल गिरा रही है।

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उन्होंने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि देश के वीर जवानों की शहादत को अपने चुनावी प्रचार में उपयोग करने वाली सरकार ने रक्षा बजट में नाम मात्र वृद्धि कर भारत के सैनिकों को आत्मनिर्भर होने को मजबूर किया। वर्तमान सरकार सेना को कमजोर बनाने में जुटी हुई। हमारे वीर जवानों का मनोबल तोड़ रही है।

एलएसी पर सेना को पीछे हटाने के लिए हुए समझौते पर भी सवाल उठाए

पूर्व रक्षा मंत्री ने चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सेना को पीछे हटाने के लिए हुए समझौते पर भी सवाल उठाए है। पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि गलवान घाटी कभी भी विवादित नहीं था। वर्ष 1962 में भी नहीं। ये हमेशा भारत का हिस्सा था, लेकिन पहली बार वहां हमारी सेना को शहादत देनी पड़ी है। भारत सरकार चीन के सामने झुक गई, जिसके चलते हमारी सेना को पीछे हटना पड़ा है। देश की कमजोर सरकार सेना को कमजोर बनाने पर तुली हुई है। उन्होंने कहा कि डिसइंगेजमेंट के साथ अपने पेट्रोलिंग प्वाइंट को छोड़ना और बफ़र ज़ोन बनाने का समझौता घुटने टेकने जैसा है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार कैलाश रेंज छोड़ना भी चौंकाने वाला फैसला है। फिंगर चार से आठ तक विवादित रहा है, लेकिन भारत ने फिंगर 8 तक अपना दावा कभी नहीं छोड़ा। पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में बयान देकर कहा कि हमारी सेना फिंगर 3 तक रहेगी, तब भारत का एक पोस्ट फिंगर 4 पर था।

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