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रिमोट से चल रही है केंद्र की मोदी सरकार: राम गोपाल यादव

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. राम गोपाल यादव ने मोदी सरकार पर नए कृषि कानूनों को लेकर शनिवार को बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यह सरकार रिमोट से चल रही है। देश में कोई सरकारी नौकरी नहीं रहेगी। इस कानून को संसद की स्थाई समिति के पास भेजना जाना चाहिए।

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समाजवादी पार्टी के प्रमुख महासचिव और राज्य सभा सदस्य रामगोपाल यादव ने कहा कि यह रिमोट से चल रही है जिसका कंट्रोल देश के तीन चार पूंजीपतियों के पास है।

सैफई स्थिति आवास पर मीडिया से बातचीत में कहा कि कुछ चुने हुये उद्योगपतियों के लिये सरकार काम कर रही है । उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानून एक साथ जल्दीबाजी में लाए गए थे । उनको जल्दबाजी में पास किया गया था जब की परंपरा यह है कि जब भी कोई नया कानून सदन में पास किया जाता है उनको संसद की समितियों में भेजा जाता है।

इन कानूनों को कृषि समितियों में भेजा जाना चाहिए था लेकिन इन के मामले में ऐसा नहीं किया गया और जिस तरह से कानून पास किए गए हैं । वह भी हर किसी को भली-भांति पता पता है। इन कानूनों को पास करने को लेकर के सदन में किस तरह से विवाद हुआ यह किसी से छुपा नहीं है।

उन्होंने कहा कि पहले कृषि कानून के जरिए एमएसपी को लेकर के अनिश्चय की स्थिति बनी हुई है ।जिस ढंग से कृषि कानून पास किया गया है । उसके तहत यह कहा जा सकता है कि किसी भी किसान को सही एमएसपी कभी मिली ही नहीं सकती । मनमाने तरह से बड़े लोग किसान की फसल को खरीदेंगे।

उन्होने कहा कि इन कृषि कानूनों के लागू होते ही सरकार की मंडियां पूरी तरह से खत्म हो जाएंगी । नए कृषि कानूनों के तहत बड़े बड़े धनपतियों की ओर से बनाए जाने वाली मंडियों का मुकाबला सरकारी मंडिया नहीं कर पायेगी। धन पतियों की मंडियां वहीं पर बनेंगी जहां पर सरकारी मंडिया पहले से निर्धारित होगी।

उन्होंने कहा कि कान्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए किसान की 25 से 30 साल तक जमीन को कार्पोरेट सेक्टर से जुड़े हुए लोग कान्ट्रैक्ट करके अपने कब्जे में कर लेंगे। कार्पोरेट सेक्टर के लोग दूसरे से कांटेक्ट कर सकते हैं एक तो जमीन का कांटेक्ट कर सकते हैं और दूसरा फसल का भी कर सकते हैं। लेकिन जब वक्त आएगा तब कहेंगे कि इस फसल की क्वालिटी सही नहीं है तब किसान के सामने फिर से सौदेबाजी रेट को लेकर के करेंगे । ऐसी स्थिति में किसान क्या करेगा यह हर किसी के समझ से परे है।

उनका कहना है कि अगर यह कानून लागू रहे तो किसान एक दिन अपनी ही जमीन पर मजदूरी करने को मजबूर हो जायेगा। सारे देश का अन्य बड़े बड़े गोदामो में स्टोर कर लिया जायेगा ।चाहे वह अडानी,अंबानी या फिर कोई अन्य कंपनी हो ।

उन्होंने किसानों के आंदोलन को बिल्कुल जायज बताते हुए कहा कि किसान कृषि कानून बनाने वालों से कहीं ज्यादा समझदार है। किसके लिए लिए किसान कृषि कानूनों का विरोध कर रहा है।

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