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राष्‍ट्रीय संपत्ति को भी बेचने की जल्‍दबाजी न करे मोदी सरकार : सोनिया गांधी

सोनिया गांधी Sonia Gandhi

सोनिया गांधी

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने भारत की गिरती अर्थव्‍यवस्‍था पर चिंता जाहिर की है। साथ ही मोदी सरकार को अपने फैसलों पर एक बार फिर सोचने की सलाह दी है। एक हिन्दी दैनिक में छपे लेख के जरिए सोनिया गांधी ने मोदी सरकार को आगाह किया है कि जिस तरह से नोटबंदी और जीएसटी का फैसला जल्‍दबाजी में लिया गया था। उसी तरह से अब सरकारी संपत्तियों को बेचने का कदम उठाया जा रहा है। सरकार को ऐसी जल्दबाजी से बचना चाहिए।

अखबार में अपने आर्टिकल में कांग्रेस अध्यक्ष ने लिखा- ‘भारतीय अर्थव्यवस्था पर संकट की शुरुआत 8 नवंबर, 2016 की रात को हुई थी। डॉक्टर मनमोहन सिंह ने दूरदर्शिता के साथ संसद में कहा था कि नोटबंदी से देश की जीडीपी में 2 फीसदी की गिरावट होगी, लेकिन उनकी सलाह को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पूरी तरह नकार दिया। आज नतीजा पूरा देश झेल रहा है। इसी तरह जीएसटी ने भी अर्थव्यवस्था को लंबे अरसे के लिए गर्त में धकेल दिया।

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सरकारी कंपनियों की बुरी हालत और उनको बेचने के सरकार के फैसले पर सोनिया गांधी ने आगे लिखा कि अब सरकार दशकों की मेहनत से खड़ी की गई सरकारी कंपनियों और जनता की संपत्ति को जल्दबाजी में बेचकर खजाना भरना चाहती है। सरकार ने ‘विनिवेश’ के बजाय ‘ निजीकरण’ की नीति अपनाई है। औने-पौने दामों में सरकारी संपत्ति की बिक्री को यह कहकर सही ठहराया जा रहा है कि इससे प्रबंधन बेहतर होगा और सरकारी स्कीमों के लिए पैसा भी उपलब्ध होगा। यह कुतर्क है।

सोनिया ने आर्टिकल में पूछा- ‘क्या LIC और इसके प्रस्तावित IPO के जरिए सरकार की हिस्सेदारी बेचना भारत में बीमा क्षेत्र की इस शीर्ष कंपनी को निजी हाथों में सौंपने की तरफ कदम बढ़ाने का संकेत है? इन्हें प्राइवेटाइज करने पर ऐतिहासिक रूप से समाज के हाशिए पर खड़े वर्गों के लिए आरक्षण और मौके खत्म हो जाएंगे।

सोनिया गांधी ने आगे लिखा कि इस सरकार के कार्यकाल में देश का पैसा लेकर भागने वाले भगोड़ों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। NPA से निपटने में फेल, यह सरकार पब्लिक सेक्टर के बैंकों (PSB) का निजीकरण करना चाहती है। भारत में यस बैंक और प्राइवेट सेक्टर की दूसरी दिवालिया संस्थाओं का तजुर्बा देखकर यह कहना मुश्किल है कि केवल प्राइवेटाइजेशन से ही बैंकिंग व्यवस्था में घालमेल और भ्रष्टाचार समाप्त हो सकेगा।

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उन्होंने कहा कि यह भी स्पष्ट है कि RBI द्वारा बैंकों की मिल्कियत औद्योगिक घरानों के पास न होने देने की दीर्घकालिक नीति को पूरी तरह बदला जा रहा है। ऐसे निर्णय से अर्थव्यवस्था और देश का पैसा केवल कुछ हाथों में केंद्रित हो जाएगा।

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