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मोक्षदा एकादशी व्रत इस दिन रखा जाएगा, जानें पूजा-विधि और पौराणिक कथा

Mokshada Ekadashi

Mokshada Ekadashi

एकादशियों में सर्वश्रेष्ठ मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को ही समर्पित होते हैं लेकिन उनके साथ माता लक्ष्मी का पूजन का विधान है। ब्रम्हांड पुराण की मान्यताओं के अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने से घर में सुख समृद्धि और शांति का वास होता है। इस व्रत से पितरों को मोक्ष प्राप्त होने के साथ संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) का व्रत रखने से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं।

पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार गोकुल नामक राज्य में वैखानस नामक एक लोकप्रिय और धार्मिक राजा था। सभी वेदों के ज्ञानी उसके राज्य में निवास करते थे। एक बार राजा ने स्वप्न देखा कि उसके पिताजी नर्क में बेहद कष्ट भोग रहे हैं और नर्क से बाहर निकाल लेने की प्रार्थना कर रहे हैं। स्वप्न टूटने के बाद राजा बहुत विचलित हुआ। कारण जानने और उसके निवारण के लिए उन्होंने सभी विद्वानों को बुलाया और इस स्वप्न के बारे में बताया। जब कोई कुछ नहीं बता सका तो उन्होंने राजा को पर्वत मुनि के आश्रम में जाने का सुझाव दिया जो कि भूत,भविष्य व वर्तमान सब कुछ देख सकते थे। राजा उनके आश्रम जाकर यथायोग्य अभिवादन के पश्चात अपनी चिंता का कारण बताया। पर्वत मुनि ने अपने ध्यान साधना से राजा के पिता के पाप कर्मों को जान लिया और उन्हें मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) का व्रत करने को कहा। यह व्रत समस्त मासों में उत्तम मार्गशीष माह में पड़ता है। राजा ने कुटुम्ब सहित मोक्षदा एकादशी का व्रत किया। उससे प्राप्त पुण्य को पिताजी को सौंप दिया जिससे उनको नर्क से मुक्ति मिल गयी। पिता ने प्रसन्न होकर राजा को ढेरों आशीर्वाद दिए। प्रभु सत्य कृष्णा दास ने कहा कि मानव जाति को एकादशी का व्रत करना चाहिए। राधा गोविंद मंदिर के माध्यम से इस व्रत का व्यापक प्रचार प्रसार करने का आह्वान किया। इस मौके मंदिर कमिटी के अध्यक्ष अधिवक्ता प्रभु आदिकांत सारंगी, अचिंत मंडल, दमयंती माता प्रवीर बनर्जी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। कार्यक्रम के पश्चात श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से अनुकूल्य (प्रसाद) ग्रहण किया।

मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) कब है– इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत 11 दिसंबर, बुधवार को है।

मुहूर्त-

एकादशी तिथि प्रारम्भ – दिसंबर 11, 2024 को 03:42 ए एम बजे

एकादशी तिथि समाप्त – दिसंबर 12, 2024 को 01:09 ए एम बजे

व्रत पारण टाइम- 12 दिसंबर को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 07:05 ए एम से 09:09 ए एम तक

पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – 10:26 पी एम

एकादशी पूजा-विधि:

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।

भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।

अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।

भगवान की आरती करें।

भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।

इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।

इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

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