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सिर्फ मां के पास है बच्चे का सरनेम तय करने का अधिकार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा

Writer D by Writer D
29/07/2022
in Main Slider, आंध्र प्रदेश, नई दिल्ली, राष्ट्रीय
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Supreme Court

Supreme Court

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नई दिल्ली। पिता के निधन के बाद बच्चे की नैसर्गिक अभिभावक होने के नाते मां के पास उपनाम पर निर्णय लेने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यह टिप्पणी आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए की। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में महिला को निर्देश दिया था कि वह दस्तावेजों में अपने दूसरे पति का नाम सौतेले पिता के रूप में दर्ज करे।

जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि दस्तावेजों में महिला के दूसरे पति का नाम सौतेले पिता के रूप में शामिल करने का हाईकोर्ट का निर्देश लगभग क्रूर और इस तथ्य के प्रति नासमझी को दिखाता है कि यह बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य और आत्मसम्मान को कैसे प्रभावित करेगा।

न्यायालय ने कहा कि बच्चे की एकमात्र नैसर्गिक अभिभावक होने के नाते मां को बच्चे का उपनाम तय करने का अधिकार है और उसे बच्चे को गोद लेने के लिए छोड़ने का भी अधिकार है। शीर्ष अदालत पहले पति की मृत्यु के बाद पुनर्विवाह करने वाली मां और बच्चे के मृत जैविक पिता के माता-पिता के बीच बच्चे के उपनाम से जुड़े एक मामले से सुनवाई कर रही थी।

पीठ ने कहा कि अपने पहले पति की मृत्यु के बाद बच्चे की एकमात्र नैसर्गिक अभिभावक होने के नाते मां को अपने नए परिवार में बच्चे को शामिल करने और उपनाम तय करने से कानूनी रूप से कैसे रोका जा सकता है।

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शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने कहा कि एक नाम महत्वपूर्ण है, क्योंकि एक बच्चा इससे अपनी पहचान प्राप्त करता है और उसके नाम और परिवार के नाम में अंतर गोद लेने के तथ्य की निरंतर याद दिलाने के रूप में कार्य करेगा। ऐसे में बच्चे को अनावश्यक सवालों का सामना करना पड़ेगा, जो उसके माता-पिता के बीच एक सहज और प्राकृतिक संबंध में बाधा उत्पन्न करेंगे।

2008 में दादा-दादी ने दायर की थी याचिका

9 अप्रैल 2008 को मृतक पिता (दादा-दादी) के माता-पिता ने एक नाबालिग बच्चे का अभिभावक बनने के लिए अभिभावक और वार्ड अधिनियम, 1890 की धारा 10 के तहत एक याचिका दायर की थी, जिस समय यह याचिका दायर की गई थी उस समय बच्चे की उम्र करीब 2 साल थी। निचली अदालत ने 20 सितंबर 2011 के आदेश के तहत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद दादा-दादी ने हाईकोर्ट का रुख किया था।

Tags: Andhra Pradesh Newsdelhi newsNational newsSupreme Court
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