महंत दिव्या गिरि ने मातृ दिवस पर मंदिर प्रांगण में आए लोगों से कहा कि हिन्दुस्तान में मातृ शक्ति को प्रकृति के विविध रूपों में पूजा दैनिक क्रम में की जाती है। यहां देश की धरती और नदियों को ही नहीं तुलसी और गाय तक को मां का सम्मान दिया जाता है। हमारे यहां नवरात्र दो बार मातृशक्ति को नमन करने के लिए ही मनाए जाते हैं।
मातृ दिवस पर मनकामेश्वर मठ मंदिर में महंत दिव्यागिरि का भव्य पुष्पाभिषेक किया गया। भक्तों की ओर से मंदिर परिसर में मातृत्व शक्ति को नमन करते हुए महंत देव्या गिरि पर फूलों की बरसात की गई। पूरा परिसर जयघोष, घंटे, घड़ियाल, शंखनाद से गूंज उठा। शिवलिंग मनकामेश्वर के श्रृंगार पूजन बाद मां गौरी से सर्वकल्याण की प्रार्थना हुई।
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मनकामेश्वर घाट के पास झोपड़पट्टी में रहने वाले लोगों में महंत ने मास्क वितरण किया और मातृ दिवस पर कहा कि जिस परिवार, समाज और देश में नारियों का सम्मान होता है, वहां हमेशा सम्पन्नता आती है। इसलिए हर नागरिक का यह पहला कर्तव्य और नैतिक धर्म है कि वह नारियों का सम्मान करें।
उन्होंने बताया कि अमेरिकन एक्टिविस्ट एना जार्विस को अपनी माँ से बहुत लगाव था। इसके कारण उन्होंने विवाह तक नहीं किया। मां के निधन से वह इतनी अधिक दुःखी हुई कि उन्होंने उनकी याद में मातृ दिवस मनाना शुरू कर दिया। बाद में यह पूरी दुनिया में मई माह के दूसरे रविवार को मनाया जाने लगा। दूसरी विचारधारा यह है कि ग्रीक देवताओं की मां स्य्बेले के सम्मान में यह दिवस मनाया जाता है। विश्व की हर संस्कृति में मां को बहुत सम्मान दिया गया है फिर चाहें मां मारियम ही क्यों न हो।
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उन्होंने कहा कि मां बच्चे की पहली पाठशाला होती है। उसके मार्गदर्शन में ही संस्कारी नागरिक तैयार हो सकते हैं। कोविड की विभीषिका में मातृ शक्ति के दायित्व कई गुना बढ़ गए हैं। ऐसे में उनके बहुआयामी रूप को भी वह प्रणाम करती हैं।