कोरोना की दूसरी लहर में चौंकाने वाला केस वाराणसी के काशी हिंदू विवि के सर सुंदर लाल अस्पताल में तब सामने आया जब एक नवजात बच्ची पॉजिटिव आ गई, जबकि उसकी मां की रिपोर्ट निगेटिव थी। इस मामले को भले ही दुर्लभ माना जाए, लेकिन बीएचयू अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक इसे रेयर नहीं मान रहें हैं और दोबारा आरटी-पीसीआर टेस्ट करने की बात कर रहें हैं।
पूर्वांचल का एम्स कहे जाने वाले काशी हिंदू विवि के सर सुंदर लाल अस्पताल में कोरोना बीमारी को लेकर एक अजीबो गरीब केस ने उस वक्त सभी को हैरान कर दिया जब मां की निगेटिव रिपोर्ट के बावजूद नवजात बच्ची की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ गई।
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दरअसल शहर के कैंटोनमेंट इलाके के रहने वाले अनिल कुमार की 26 वर्षीय गर्भवती पत्नी का इलाज पहले से बीएचयू में ही चल रहा था और इसी महीने की 25 मई को डिलीवरी की तारीख तय थी। जिसके पहले डॉक्टरों ने कोरोना जांच कराने की बात कही।
अनिल के मुताबिक कोरोना जांच में उसकी पत्नी की रिपोर्ट निगेटिव आ गई और फिर 25 मई को ऑपरेशन के जरिए बच्ची का जन्म हुआ। जन्म के बाद मेडिकल स्टाफ ने बच्ची का भी सैंपल लेकर जांच के लिए भेज दिया और रात को उनकी नवजात बच्ची की रिपोर्ट पॉजिटिव आने से वे सभी हैरान रह गए। हालांकि मां और बच्चा पूरी तरह स्वस्थ्य हैं। बच्ची के पिता ने संभावना जताई कि शायद कोरोना का टेस्ट सही से नहीं किया गया होगा।
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वहीं इस पूरे मामले पर बीएचयू अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो केके गुप्ता ने बताया कि ऐसा होना कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि आरटी-पीसीआर की सेंसिटिविटी 70 प्रतिशत तक होती है। अभी फिर से जांच कराई जाएगी और जरूरत पड़ी तो बच्ची की मां का एंटीबॉडी टेस्ट भी फिर से कराया जाएगा। जिससे यह पता चल सकेगा कि क्या पहले कभी वे कोरोना पॉजिटिव तो नहीं थीं?
वैसे इससे पहले भी कोरोना के कई हैरान कर देने वाले मामले सामने आए हैं। दूसरी लहर के दौरान तो कई ऐसे भी केस देखने को मिले हैं जहां पर रिपोर्ट जरूर निगेटिव आ जाती है, लेकिन लक्षण सारे कोरोना वाले रहते हैं। कई लोगों का इंफेक्शन सीटी स्कैन के जरिए पकड़ में आता है। ऐसे में दूसरी लहर के दौरान कुछ लक्षण भी बदले हैं और इलाज करने के तरीके में भी परिवर्तन देखने को मिला है।