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किसने की थी छठ पूजा की शुरुआत, जानें इसके पीछे पौराणिक कथा

Chhath Puja

Chhath Puja

दीपावली के बाद अब सबसे बड़ा पर्व छठ पूजा ( Chhath Puja) आज से शुरू हो गया है। 4 दिनों तक चलने वाली यह महापर्व 08 नवंबर तक मनाया जाएगा। उत्तर प्रदेश और बिहार के यह पर्व उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसमें महिलाएं 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती है। पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को यदि विधि-विधान के साथ संपन्न किया जाता है कि संतान सुख की प्राप्ति होती है और संतान को लंबी उम्र प्राप्त होती है।

छठ पूजा ( Chhath Puja) को लेकर ये है पौराणिक मान्यता

छठ पर्व ( Chhath Puja) बिहार की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो वैदिक काल से ही मनाया जा रहा है। छठ पर्व में मुख्य रूप से सूर्य की उपासना की जाती है। ऋग्वेद में भी सूर्य पूजन, उषा पूजन के बारे में विस्तार से जिक्र मिलता है।

माता सीता ने की थी छठ पर्व ( Chhath Puja) की शुरुआत

वाल्मीकि रामायण में भी छठ पूजा ( Chhath Puja) के संकेत मिलते हैं। इसके मुताबिक, पौराणिक नगर अंग प्रदेश की राजधानी मुंगेर में माता सीता ने 6 दिनों तक छठ पूजा की थी। रावण वध के बाद जब भगवान श्रीराम 14 साल का वनवास भोग कर अयोध्या वापस आए थे तो रावण वध के पाप से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने राजसूय यज्ञ किया था।

इस यज्ञ के लिए भगवान राम ने मुद्गल ऋषि को भी न्योता दिया था, लेकिन मुद्गल ऋषि ने अयोध्या जाने के बजाय भगवान राम और सीता को अपने ही आश्रम में आने का आदेश दिया।

ऋषि आज्ञा पर भगवान राम और सीता खुद जब वहां पहुंचे तो ऋषि मुद्गल ने उन्हें पहली बार छठ पूजा ( Chhath Puja) का महत्व बताया था। ऋषि मुद्गल की ओर से बताई गई विधि के आधार पर माता सीता ने पहली बार सूर्य देव की उपासना करके 6 दिनों तक छठ पूजा ( Chhath Puja) की थी।

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