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आंदोलन में शामिल होंगे एमपी के किसान, ग्वालियर से करेंगे दिल्ली कुछ

Farmer Protest

Farmer Protest

नए कृषि कानूनों के खिलाफ चार राज्य पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसान पिछले पांच दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। किसानों के इस आंदोलन को अब मध्य प्रदेश का भी साथ मिलने वाला है।

मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के ग्रामीण क्षेत्र के किसान का कहना है कि वे कल आंदोलन में शामिल होने के लिए दिल्ली की ओर मार्च करेंगे। किसान संगठनों ने कल दिल्ली जाने का फैसला किया है। किसान नेताओं ने आवश्यक वस्तुओं के साथ साथी किसानों को साथ देने की अपील की है।

इधर, किसानों ने सरकार के आमंत्रण पर मंगलवार को बातचीत की। इस बैठक के बाद किसानों ने जानकारी दी कि 3 दिसंबर को फिर से किसान प्रतिनिधियों और सरकार के बीच बातचीत होगी। 3 दिसंबर को होने वाली बैठक में कृषि कानूनों के हर मुद्दे पर एक-एक करके विस्तार से बात होगी। किसान नेता बुधवार को कृषि कानूनों की खामियों की सूची बनाके केंद्र सरकार को सौंपेंगे। वहीं सरकार की तरफ से कमेटी बनाने का भी प्रस्ताव दिया गया है।

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केंद्र सरकार के साथ मंगलवार को हुई बैठक में किसान नेताओं ने मीटिंग के दौरान चाय ब्रेक का बहिष्कार कर दिया। किसान नेताओं ने कहा कि देश के किसानों को केंद्र सरकार पर भरोसा नहीं है। इसके अलावा किसान नेताओं ने आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिवारों के लिए मुआवज़े की मांग की है। प्रधानमंत्री के वाराणसी के भाषण पर किसान नेताओं ने कहा कि किसानों के प्रति पीएम की नीति और नीयत ठीक नहीं है और केंद्र सरकार दोहरे मापदंड अपना रही है। किसान नेता कृषि कानूनों को रद्द करवाने पर अडिग हैं।

दिल्ली कूच आंदोलन के चलते आज केंद्र सरकार के निमंत्रण पर किसान संगठनों के 35 प्रतिनिधियों की मीटिंग विज्ञान भवन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल एवम वाणिज्य राज्यमंत्री सोमप्रकाश के साथ हुई। मध्य प्रदेश के किसान नेता शिव कुमार कक्काजी ने कहा कि ये 3 कृषि कानून किसानों की मौत के फरमान हैं। उन्होंने कहा कि सभी किसान नेता बहुत समझदार हैं और वो जानते हैं कि इन कानूनों से किसानों को बहुत नुकसान हैं।

उन्होंने आगे कहा कि आने वाले समय में यह किसान आंदोलन जनांदोलन बनने जा रहा है और बुआई के सीजन के बाद आंदोलन में धरने स्थल पर किसानों की संख्या कई गुणा बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली के कमरों में बैठकर किसानों की नीतियां नहीं बनाई जा सकती। उन्होंने अंत में कहा कि अब की बार मध्यप्रदेश में गेहूं, बाजरा, धान समर्थन मूल्य से बहुत कम पर बिका है और किसानों का शोषण हो रहा है।

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