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बाल विवाह, बाल श्रम, बाल यौन शोषण, बाल तस्करी की रोकथाम के लिए सेवा द्वारा किया जा रहा है सार्थक प्रयास

सिद्वार्थनगर। मानव सेवा संस्थान ‘सेवा’ गोरखपुर जो एक गैर-लाभकारी संगठन है, संस्थान के द्वारा बाल विवाह, बाल श्रम, बाल यौन शोषण , बाल तस्करी की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान जिले में चलाया जा रहा है। वर्तमान समय में बाल विवाह समाज में एक बेहद गम्भीर समस्या है, जिसके रोकथाम का कार्य जन जागरूकता के साथ ही इसको पूर्ण रूप से समाप्त किये जाने के लिए सर्वसमाज को आगे आना होगा। इसी प्रयास की कड़ी में सिद्वार्थ नगर जनपद को ‘‘बाल विवाह मुक्त’’ बनाने के साथ ही साथ इस मुहिम के तहत माडल के तौर पर जनपद के विकास खण्ड लोटन, बर्डपुर, नौगढ़ के 50 गावों को जन सहयोग एवं स्थानीय ग्रामीणों एवं ऐसे परिवार जिन परिवार में विवाह योग्य 18 वर्ष से कम उम्र की बच्चियां एवं 21 वर्ष से कम उम्र के बच्चें है उन्हें जागरूक कर यह शपथ भी करायी जा रही है कि वह अपने बच्ची का उम्र 18 वर्ष पूर्ण होने पर एवं बच्चे का उम्र 21 वर्ष पूर्ण होने पर ही विवाह योग्य होने पर ही विवाह करेंगे। उक्त जानकारी मानव सेवा संस्थान सेवा के अध्यक्ष आशा त्रिपाठी के निर्देशानुसार संस्थान के समन्वयक जय प्रकाश गुप्ता ने शनिवार को रेस्ट हाउस में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही। उनके द्वारा यह बताया गया कि बाल विवाह समाज के लिए आज के दौर में यह दर्शाता है कि कही न कही जागरूकता, गरीबी, असुरक्षा आदि जैसे कारणों से लोग बाल विवाह से जुड़ रहे है। जिसको रोकने का कार्य हम सभी को करना होगा। आगे संस्थान के प्रमुख द्वारा यह बताया गया कि इस मुहिम में समुदाय में सामूहिक, परिवारिक, व्यक्तिगत रूप से भी बाल विवाह के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ ही बाल विवाह उन्मूलन के लिए शपथ दिलाई जा रही है। इसके साथ ही बाल विवाह के मामले संज्ञान में आने पर इसके खिलाफ प्रशासनीक सहयोग लेकर इसको रोकने के लिए भी प्रयास किये जा रहे है। संस्थान के समन्वयक ने बताया कि बाल बिवाह के साथ ही पीड़ितो को विधिक सलाह, सुरक्षा, परामर्श के साथ ही, बाल श्रम, बाल यौन शोषण, बाल तस्करी की रोकथाम के लिए मानव सेवा संस्थान सेवा द्वारा सिद्वार्थनगर जनपद के साथ ही साथ 50 गाॅवों में प्रमुख रूप से कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया गया कि बच्चों के खिलाफ हिंसा, बाल विवाह, बाल तस्करी की रोकथाम के लिए एएचटीयू, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डालसा), बाल कल्याण समिति, जिला प्रोबेशन अधिकारी, किशोर न्याय बोर्ड, पुलिस विभाग के साथ समन्वय बनाकर इस अभियान को मूर्त रूप देने का कार्य किया जाएगा। बच्चों के उत्पीड़न से सम्बधित मामले संज्ञान में आने पर उस परिवार को और पीडित को संस्थान द्वारा सरकारी सहायता एवं सहयोग प्रदान किये जाने, न्याय दिलाने के लिए हर सम्भव सहयोग किया जाएगा। संस्थान के समन्वयक ने सर्व साधारण से अपील किया कि अगर कही भी बाल विवाह, उत्पीड़न से जुड़े मामले संज्ञान मे आता है तो समाज के सभी प्रबुद्वजन, जनप्रतिनिधि, जागरूक जनमानस, विशेष रूप से सक्रिय समूह, संगठन, इस कुप्रथा को रोकने में सहयोग प्रदान करें। इस मुहिम में मीडिया की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए सहयोग की अपील संस्थान प्रमुख के तरफ से किया गया।

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