लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक एवं कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने जेलर को जान से मारने की धमकी देने से जुड़े तीन आरोपों का दोषी करार देते हुए बुधवार को सात साल की जेल और 37 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है।
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने लखनऊ स्थित आलमबाग थाने में जेलर द्वारा दर्ज कराये गये मुकदमे में मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) के खिलाफ लगाये गये आरोपों को सही ठहराते हुए यह सजा सुनायी। अदालत ने यह फैसला राज्य सरकार की अपील को मंजूर करते हुए पारित किया है। इसमें मुख्तार को तीन आपराधिक धाराओं में आरोपी बनाया गया था। अदालत ने दो धाराओं में दो दो साल की जेल और तीसरी धारा के तहत दोषी करार देकर सात साल की सजा सुनायी। तीनों सजायें एक साथ चलेंगी, इसलिये मुख्तार को इस मामले में कुल सात साल जेल और 37 हजार रुपये जुर्माने की सजा भुगतनी होगी।
इस मामले में वर्ष 2003 में तत्कालीन जेलर एसके अवस्थी ने थाना आलमबाग में मुख्तार (Mukhtar Ansari) के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। तहरीर के अनुसार जेल में मुख्तार अंसारी से मिलने आए लोगों की जेलर द्वारा तलाशी लेने का आदेश देने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई थी। इतना ही नहीं मुख्तार ने जेलर के साथ गाली गलौज कर उन पर पिस्तौल भी तान दी।
इस मामले में विशेष न्यायालय (एमपी एमएलए) ने 23 दिसंबर 2020 को सबूतों के अभाव में मुख्तार को निर्दोष करार दिया था। निचली अदालत के फैसले को राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए अपील दाखिल की। अदालत ने दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी करने के बाद निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए मुख्तार अंसारी को दोषी करार देकर अधिकतम सात साल के कारावास और 37 हजार के जुर्माने की सजा सुनायी है।
इस मामले में न्यायमूर्ति सिंह ने मुख्तार (Mukhtar Ansari) को आईपीसी की धारा 353 (सरकारी कर्मचारी को हमला कर दायित्व निर्वाह करने से बलपूर्वक रोकना) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल की जेल और 10 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनायी। इसके अलावा अदालत ने आईपीसी की धारा 504 (शांति भंग करने की मंशा से किसी को अपमानित करना) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल की कैद और 2000 रुपये जुर्माने की सजा सुनायी है। वहीं, आईपीसी की धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दोषी ठहराते हुए मुख्तार को सात साल की कैद और 25 हजार रुपये का जुर्माने की सजा सुनायी है। इस प्रकार मुख्तार को इस मुकदमे में कुल सात साल की सजा और 37 हजार रुपये के जुर्माने की सजा भुगतनी होगी।