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मायावती से लेकर मुलायम सिंह के दौर तक चला मुख्तार का सिक्का

मुख़्तार अंसारी

मुख़्तार अंसारी

उत्तर प्रदेश पुलिस को शानदार सेवाएं देने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी रंजन द्विवेदी उन दिनों बनारस में तैनात थे। मुख्तार के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी थी और उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में उन्हें प्रमोशन देकर ऐसा करने से रोक दिया गया। दूसरी तैनाती दे दी गई। मुख्तार अंसारी पर पूर्व डीएसपी शैलेन्द्र सिंह ने पोटा लगाना चाहा, तो उन्हें प्रताड़ना झेलनी पड़ी। शैलेन्द्र सिंह ने पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया। उत्तर प्रदेश में कई ऐसे पुलिस अधिकारी और आईएएस वर्तमान तथा रिटायर मिल जाएंगे, जो ऑफ द रिकार्ड अपने हाथ राजनेताओं द्वारा बांध देने के बारे में जानकारी देंगे।

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उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी बृजलाल ने हाल में कई बड़े खुलासे किए हैं। हालांकि बृजलाल ने एक बार भी नहीं बताया कि उन्होंने डीजीपी रहते हुए मुख्तार पर शिकंजा क्यों नहीं कसा। मुख्तार पर शिकंजा कसे जाने की दूसरी संभावना तब ज्यादा जोर पकड़ने लगी थी, जब उत्तर प्रदेश पुलिस ने भदोही से विधायक विजय मिश्रा पर कानूनी कार्रवाई करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया। पूर्वी उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य उत्तर प्रदेश के माफिया राज पर बारीकी से नजर रखने वाले मानते हैं कि मुख्तार की सपा और बसपा के राज में चलती थी। उनका राजनीतिक रसूख विरोधियों को घेरने और खुद से जुड़े लोगों को सुरक्षा कवच देने में करीब-करीब सफल रहता था। मुख्तार के इसी राजनीतिक कनेक्शन के जवाब के तौर पर बृजेश सिंह के परिवार और उनके कई करीबी राजनीति में आए। यहां तक कि वाराणसी परिक्षेत्र में दहशत का पर्याय बने बृजेश सिंह ने भी राजनीति के रास्ते को चुन लिया।

 

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