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Mumbai Train Blast: बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, कहा- दोषियों को आत्मसमर्पण करने की आवश्यकता नहीं

Supreme Court

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नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने वर्ष 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में दोषी सभी 12 लोगों को बरी करने के बम्बई उच्च न्यायालय के 21 जुलाई के फैसले पर गुरुवार को रोक लगाते हुए कहा कि फिलहाल उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।

न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इस संबंध में आदेश पारित किया। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की उस याचिका को स्वीकार कर लिया जिसमें कहा गया था कि उच्च न्यायालय के फैसले को अन्य लंबित महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) मामलों में मिसाल नहीं माना जाएगा।

शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के फैसले की वैधता को चुनौती देने वाली एक विशेष अनुमति याचिका पर संबंधित सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया।पीठ ने इस दलील पर गौर किया और स्पष्ट किया कि उच्च न्यायालय के फैसले को मिसाल नहीं माना जाएगा।

उच्च न्यायालय (Supreme Court) सोमवार 21 जुलाई 2025 को फैसला सुनाया था। उसने विशेष मकोका अदालत के वर्ष 2015 के फैसले को पलटने हुए उसके उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें पांच आरोपियों को मौत की सज़ा और सात को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

मकोका अदालत ने कमाल अंसारी (अब मृत), मोहम्मद फैसल शेख, एहते-शाम सिद्दीकी, नवीद हुसैन खान और आसिफ खान को मौत की सजा सुनाई थी।

अदालत ने तनवीर अहमद इब्राहिम अंसारी, मोहम्मद माजिद शफी, शेख मोहम्मद, मोहम्मद साजिद मरगूब अंसारी, मुजम्मिल अताउर रहमान शेख, सुहैल महमूद शेख और ज़मीर अहमद शेख को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

मुंबई की लोकल ट्रेनों में 11 जुलाई, 2006 को सात बम विस्फोट हुए थे। इस घटना में 189 लोग मारे गए थे और 820 लोग घायल हुए थे।

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