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मुनव्वर राणा बने तालिबान के ‘हमदर्द’, बोले- अफगान से ज्यादा क्रूरता हिंदुस्तान में है

Munawwar Rana

Munawwar Rana

अफगानिस्तान में तालिबान राज कायम होते ही यूपी में बयानबाजी का दौर तेज हो गया। संभल से सपा सांसद शफीकुर्रहमान, ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी और पीस पार्टी के शादाब चौहान के बाद मशहूर शायर मुनव्वर राणा के दिल में भी तालिबान लड़ाकों के लिए हमदर्दी देखने को मिली।

मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने तालिबान को लेकर विवादित बयान दिया है।

मुनव्वर राणा का कहना है कि जितनी क्रूरता अफगानिस्तान में है, उससे ज्यादा क्रूरता तो हमारे यहां पर ही है। पहले रामराज था, लेकिन अब कामराज है, अगर राम से काम है तो ठीक वरना कुछ नहीं।

मुनव्वर राणा ने कहा कि तालिबान ने सही किया है। अपनी जमीन कब्जा तो किसी भी तरह से किया जा सकता है। अगर तालिबान ने अपने मुल्क अफगानिस्तान को आजाद करा लिया तो उसमें क्या दिक्कत है। राणा ने कहा कि इसे हिंदुस्तानी होकर नहीं देखा जा सकता। अगर समझना है तो ब्रिटिश राज में गुलाम हिंदुस्तान की तरह सोचना होगा।

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मुनव्वर राणा ने कहा कि हिन्दुस्तान को तालिबान से डरने की ज़रुरत नहीं है, क्योंकि अफगानिस्तान से जो हजारों बरस का साथ है उसने कभी हिन्दुस्तान को नुकसान नहीं पहुंचाया है। जब मुल्ला उमर की हुकूमत थी तब भी उसने किसी हिन्दुस्तानी को नुकसान नहीं पहुंचाया, क्योंकि उसके बाप-दादा हिन्दुस्तान से ही कमा कर ले गए थे।

मुनव्वर राणा बोले कि जितनी एके-47 उनके पास नहीं होंगी, उतनी तो हिन्दुस्तान में माफियाओं के पास हैं। तालिबानी तो हथियार छीनकर और मांगकर लाते हैं, लेकिन हमारे यहां माफिया तो खरीदते हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा देवबंद में एटीएस सेंटर खोलने पर मुनव्वर राणा ने कहा कि जबतक ये सरकार है कुछ भी कर सकती है। लेकिन मौसम हमेशा एक-सा नहीं रहता है। धर्मांतरण जैसे मसलों से मुल्क बर्बाद होता है, लेकिन हम चाहते हैं कि हमारा मुल्क पहले जैसा था, वैसा हो जाए।

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मुनव्वर राणा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भी थोड़े बहुत तालिबानी हैं, यहां सिर्फ मुसलमान ही नहीं बल्कि हिंदू तालिबानी भी होते हैं। आतंकवादी क्या मुसलमान ही होते हैं, हिन्दू भी होते हैं। महात्मा गांधी सीधे थे और नाथूराम गोडसे तालिबानी था। यूपी में भी तालिबान जैसा काम हो रहा है।

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