झांसी। जनपद में नगर निगम के संपत्ति विभाग में तैनात वरिष्ठ लिपिक परशुराम सतोइया ने सोमवार की सुबह जहर खाकर जान (Suicide) दे दी। जान देने से पहले उन्होंने विभागीय कर्मचारियों के व्हाट्सएप ग्रुप पर भेजे एक मेसेज में भी नगर निगम अफसरों पर प्रताड़ना का आरोप लगाया। परिजनों का कहना है परशुराम कई दिनों से परेशान चल रहे थे। पुलिस ने पोस्टमार्टम कराने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।
थाना नवाबाद के तालपुरा निवासी परशुराम सतोइया (58) नगर निगम के संपत्ति विभाग के लिपिक थे। वह कर्मचारी यूनियन के एक धड़े के नेता भी थे। परिजनों के मुताबिक सोमवार सुबह करीब सात बजे वह अपने गढ़मऊ स्थित खेत पर जाने के लिए एक्टिवा स्कूटी से निकले। ऑफिस जाने के समय तक भी जब वह वापस लौटकर घर नहीं आए तब परिजनों ने उनको फोन किया।
मोबाइल पर कई बार कॉल करने के बावजूद भी जब फोन रिसीव नहीं हुआ तब परिजनों को घबराहट हुई। कुछ देर बाद परिवार के लोग उनको तलाशते हुए गढमऊ स्थित फार्म हाउस पहुंच गए। यहां वह अचेत हाल में जमीन पर गिरे पड़े थे। पास में जहर की खाली शीशी पड़ी थी। परिजन तुरंत उनको लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे। कुछ देर बाद डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया। उनकी मौत की खबर सुनते ही नगर निगम कर्मचारी स्तब्ध रह गए। बड़ी संख्या में नगर निगम कर्मचारी भी पोस्टमार्टम हाउस पहुंच गए।
कर्मचारियों ने सुबह करीब साढ़े आठ बजे उनके व्हाट्सएप ग्रुप में भेजा संदेश भी दिखाया। इसमें उन्होंने अधिकारियों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। देर-शाम पोस्टमार्टम कराकर शव परिजनों को सौंप दिया गया। एसपी सिटी ज्ञानेंद्र सिंह के मुताबिक जहर खाने से मौत की पुष्टि हुई है। परिवार के लोगों ने अभी तक तहरीर नहीं दी है। तहरीर मिलने पर आगे कार्रवाई होगी।
व्हाट्सएप ग्रुप में लिखा-दो लाइन का मैसेज
नगर निगम के लिपिक परशुराम सतोइया ने जहरीला पदार्थ निगलने से पहले कर्मचारियों के व्हाट्सएप ग्रुप में दो लाइन का मैसेज लिखा। उन्होंने लिखा कि मुझे नगर निगम के अधिकारियों ने बहुत परेशान करके मरने को मजबूर कर दिया। थोड़ी देर में यह मैसेज नगर निगम गलियारे में वायरल हो गया। अंदरखाने कर्मचारियों के बीच ऐसे अधिकारी की तलाश शुरू हो गई।
जिसकी वजह से कर्मचारी को आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा, हालांकि कर्मचारी यूनियन समेत कोई भी नगर निगम कर्मचारी इस बारे में खुलकर बोलने को राजी नहीं हुआ।
परशुराम सतोइया इन दिनों संपत्ति विभाग में दुकानों से संबंधित लिपिकीय कार्य संभाल रहे थे। पिछले कई साल से वह यह काम देख रहे थे। उनके पास सिर्फ यही एक काम था।
30 जून को नगर आयुक्त ने अधिकांश लिपिकीय कर्मचारियों के पटल परिवर्तन किए लेकिन, उनका पटल नहीं बदला। ऐसे में उनके संग काम करने वाले कर्मचारी भी उनको प्रताड़ित करने वाले अफसर की पहचान नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में अपनी मौत से कुछ समय पहले लिखे इस मैसेज से परशुराम की मौत का पूरा मामला रहस्य में घिर गया।
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उधर, उसकी मौत के बाद से परिवार में कोहराम मचा है। दो साल बाद ही उन्हें सेवानिवृत होना था लेकिन, परिवार के लोगों का कहना है कि वह नौकरी को लेकर काफी तनाव में रहते थे। एसपी सिटी ज्ञानेंद्र सिंह का कहना है कि परिवार के लोगों की ओर से अभी कोई शिकायती पत्र नहीं दिया गया है।
परशुराम सतोइया निगम के कर्मठ कर्मचारी थे लेकिन, उनकी मौत के बाद हम लोग किसी पर भी आरोप-प्रत्यारोप नहीं लगा सकते। -मो.परवेज, अध्यक्ष, नगर निगम कर्मचारी एसोशिएशन
दो महीने पहले ही हुआ था प्रमोशन
परशुराम का प्रमोशन दो माह पहले मई में हुआ था। इसके पहले वह बिल कलेक्टर के तौर पर काम करते थे लेकिन, मई में उनको पदोन्नति देकर लिपिक बना दिया गया था।