नयी दिल्ली। मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति फ़िरोज़ बख्त अहमद ने पूरे विश्व और विशेष रूप से भारतीय मुसलमानों से आग्रह किया है की भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब को जिंदा रखते हुए वे सब अयोध्या आएं और राम मंदिर की कार सेवा में खुले दिल से भाग लें जिससे यह प्रमाणित हो जायेगा कि भारत वास्तव में एक सोने की चिड़िया है और आने वाले दिनों में विश्व गुरु का स्थान ग्रहण करने वाला है।
श्री अहमद ने कहा की बीते 500 वर्ष से भी अधिक समय में कई मुस्लिम, अंग्रेज़ और हिन्दू रजा-महाराजा आये मगर किसी के राज में भी इस ज्वलंत समस्या का समाधान नहीं हुआ जो कि भारत के मौजूदा दिलदार, दमदार, जानदार, कामदार, वफादार, वजादार और सबसे अधिक ईमानदार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कर दिखाया।
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उनका मानना है की पूरे विश्व के मुसलमान मन से चाहते हैं की श्रीराम का एक अति भव्य मंदिर बने और साथ ही कुछ फासले पर बाबरी मस्जिद का भी निर्माण हो। वह पिछले लगभग 20 वर्ष से विभिन्न हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी भाषाओँ के अख़बारों में लिखते आ रहे हैं कि जिस तरह से मुसलमानों के लिए मक्का अति आदरणीय आस्था स्थल है, ईसाईयों के लिए बेथलेहम है, बौद्धों के लिए बोध गया है और जैन समुदाय के किये श्रवण बेलगोला है, उसी प्रकार स हिन्दू समुदाय के लिए अयोध्या है और यह बड़े ही हर्ष का विषय है की 500 वर्ष से भी अधिक समय के बाद यह सुभ अवसर आया है।
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उन्होंने कहा की शायद उच्चतम न्यायालय ने उनकी दिली मुराद सुन ली और नौ नवम्बर 2019 को एक ऐसा ऐतिहासिक निर्णय दिया जिससे किसी के दिल को ठेस नहीं लगी। उस दिन मुसलमानों ने हार पर आंसू नहीं बहाए और हिन्दुओं ने जश्न नहीं मनाया क्या क्योंकि उस दिन भारत के इतिहास में पहली बार हिन्दू और मुसलमान एक दुसरे के गले ही नहीं मिले बल्कि दोनों समुदायों के दिल भी मिल गए।
श्री अहमद ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखकर उन्हें पांच अगस्त को राम मंदिर के शिला पूजन कार्यक्रम के लिए शुभकामनाएं दी है। उन्होंने कहा कि मशहूर शायर इकबाल के अनुसार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवन राम न केवल हिन्दुओं के भगवन हैं बल्कि मुसलमानों के भी इमाम हैं।