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त्योहारों से पहले महंगा होने लगा सरसों का तेल

Desk by Desk
12/10/2020
in ख़ास खबर, राष्ट्रीय
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"Pure mustard oil

शुद्ध सरसों का तेल

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नई दिल्ली| दुनिया भर में सोयाबीन दाना सहित खाद्यतेल का स्टॉक कम होने के साथ ही स्थानीय स्तर पर त्योहारी मांग बढ़ने से बीते सप्ताह दिल्ली के तेल-तिलहन बाजार में सोयाबीन सहित विभिन्न खाद्य तेल कीमतों में उछाल देखने को मिला।

बाजार के जानकारी सूत्रों ने कहा कि त्योहारी मांग बढ़ने के कारण सरसों, मूंगफली में तथा मध्य प्रदेश सहित कुछ राज्य सरकारों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सोयाबीन खरीद करने के आश्वासन के कारण सोयाबीन तेलों की कीमतों में उछाल आया। पिछले सप्ताहांत के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताहांत में मलेशिया एक्सचेंज आठ प्रतिशत बढ़ा है, जिसकी वजह से कच्चे पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल कीमतों में भी बढ़त देखी गई।

 

उन्होंने बताया कि पूरे विश्व में सोयाबीन दाना के साथ साथ खाद्यतेलों का स्टॉक कम हुआ है और मलेशिया में भारी बरसात से तेल उत्पादन प्रभावित हुआ है। जिसकी वजह से पिछले सप्ताह जो पाम तेल का भाव 705 डॉलर प्रति टन पर था, वह बढ़कर अब 785 डॉलर प्रति टन हो गया है।

इसी प्रकार एक अन्य आयातित तेल सोयाबीन डीगम का भाव भी बढ़कर अब 902 डॉलर प्रति टन हो गया है, जो पिछले सप्ताह 840 डॉलर प्रति टन के स्तर पर था।  सूत्रों ने कहा कि देश में त्योहारी मांग बढ़ने और सरसों की उपलब्धता कम होने के कारण सरसों तेल कीमतों में पिछले सप्ताहांत के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताहांत में सरसों दाना सहित इसके सभी तेल के भाव में तेजी दर्ज की गई।

सूत्रों ने कहा कि मूंगफली के निर्यात मांग में वृद्धि हुई है, लेकिन हाजिर मंडी में मूंगफली दाना और सूरजमुखी तेल अभी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बिक रहे हैं। गुजरात सहित कुछ अन्य राज्य सरकारों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंगफली की खरीद करने का किसानों को आश्वासन दिया है, जिसकी वजह से किसान मंडियों में कम ऊपज ला रहे हैं।

उन्होंने कहा कि सरसों का भाव बाजार में 100-120 रुपये किलो बैठता है, जबकि मूंगफली का भाव लगभग 135 रुपये किलो बैठता है। विदेशी आयातित तेलों के मुकाबले इन देशी तेलों का भाव लगभग दोगुना बैठता है, इसलिए इन तेलों की मांग प्रभावित होती है।

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उन्होंने कहा कि सरकार को आयात के भरोसे बैठने के बजाय देश को तेल तिलहन के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए देशी स्तर पर उत्पादन बढ़ाने तथा मांग सृजित करने के उपाय करते हुए कड़े फैसले करने होंगे और सस्ते आयातित तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाना होगा।

उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को तिलहनों का भी बफर स्टॉक बनाना चाहिए ताकि वक्त जरूरत तेल की मांग आने पर हमें आयात की बाट न जोहनी हो तथा देशी स्तर पर उत्पादन को बढ़ाते हुए आयातित तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाना चाहिए ताकि हमारे तिलहन उत्पाद आयातित तेलों की प्रतिस्पर्धा का सामना कर सकें।

उन्होंने कहा कि बफर स्टॉक के कारण देशी तिलहन पूरा का पूरा बाजार में खप जायेगा और किसानों को इससे फायदा होगा। उन्होंने कहा कि सरकार हर साल तिलहनों के एमएसपी को बढ़ाती है जो किसान के लिए फायदेमंद है, मगर इसके साथ ही तेलों की कीमत भी बढ़नी चाहिए और देशी खाद्यतेलों की मांग सृजित करने की ओर ध्यान देना होगा।

Tags: diwalifestive seasonmustard oilSoybean Oilत्योहारी सीज़नदीवालीसरसों तेलसोयाबीन तेल
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