नई दिल्ली| निश्चित आय वाली प्रतिभूतियों पर केन्द्रित म्यूचुअल फंड (डेट फंड) में जुलाई के दौरान निवेश बढ़कर 91,392 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इस साल जून के मुकाबले यह निवेश 30 गुना से ज्यादा है। इस निवेश में अल्पावधि योजनाओं में निवेशकों का रुझान ज्यादा रहा। एसोसिएसन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक कर्ज जोखिम वाले कोषों को छोड़कर अन्य सभी व्यक्तिगत श्रेणियां जो कि निर्धारित आय प्रतिभूतियों अथवा ऋण पत्र कोषों में निवेश करती हैं उन सभी में प्रवाह बढ़ा है।
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उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक तय आय वाली प्रतिभूतियों में निवेश करने वाली म्यूचुअल फंड योजनाओं में जुलाई माह के दौरान निवेश प्रवाह बढ़कर 91,392 करोड़ रुपये तक पहुंच गया जबकि जून माह में यह प्रवाह 2,862 करोड़ रुपये का रहा था। इससे पहले मई में इन योजनाओं में 63,665 करोड़ रुपये और अप्रैल में 43,431 करोड़ रुपये का निवेश प्रवाह हुआ था।
मौजूदा ब्याज दरों के परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए निवेशकों का रुझान कम अवधि की सुनिश्चित आय वाली योजनाओं में निवेश की तरफ बढ़ा है। इसके अलावा निवेशकों का ध्यान सुरक्षित विकल्पों में निवेश करने वाली म्युचूअल फंड योजनाओं की तरफ भी बढ़ा है। खासतौर से मुद्रा बाजार, अल्पावधि, कापोरेट बॉन्ड और बैंकिंग एवं सार्वजनिक उपक्रमों में निवेश करने वाली योजनाओं में आकर्षण देखा गया।
एमके वेल्थ मैंनेजमेंट के शोध प्रमुख जोसफ थॉमस ने कहा कि ऋणपत्रों से जुड़े कोषों में निवेश प्रवाह बढ़ना स्वस्थ स्थिति को दर्शाता है। इसमें भी एक बड़ा हिस्सा अल्पावधि वाले कोषों की तरफ गया है। यह साफ है कि निवेशक लंबी अवधि की योजनाओं में निवेश करने से बच रहे हैं शायद इसकी वजह यह है कि लंबे समय में उतार चढ़ाव आ सकता है। खासतौर से गिल्ट की प्राथमिक नीलामी में लंबी अवधि के पत्रों के जारी होने से इसमें उतार-चढ़ाव हो सकता है।
यह म्यूचुअल फंड की स्कीम है। म्यूचुअल फंड कंपनियां डेट फंड की पूंजी का ज्यादा हिस्सा बॉन्ड, कमर्शियल पेपेर (सीपी) और सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट (सीडी) जैसे सरकारी निवेश माध्यमों में निवेश करती हैं। इसकी वहज से इसमें जोखिम कम होता है। इसमें निवेश की अवधि सामान्यत: तीन माह से लेकर तीन साल तक होती है। मनी मार्केट फंड, इनकम फंड, छोटी अवधि के फंड (शॉट टर्म फंड),अपॉच्र्यूनिटी फंड, गिल्ट फंड और बेहद छोटी अवधि के (अल्ट्रा शॉर्ट टर्म) फंड डेट फंड की श्रेणी में आते हैं।
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म्यूचुअल फंड की स्कीम बाजार में आती है तो उनकी रेटिंग भी जारी की जाती है। इससे निवेश पर जोखिम का पता चलता है। किसी भी ऐसे निवेश उत्पाद पर एएए (ट्रिपल ए) रेटिंग सबसे सुरक्षित मानी जाती है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल, केयर और इक्रा सहित अन्य एजेंसियां कई मानकों के आधार पर रेटिंग जारी करती हैं। इसमें कंपनी की वित्तीय स्थिति, उसका प्रबंधन, विस्तार योजनाएं और पुराना रिकॉर्ड आदि देखा जाता है। हालांकि, वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि रेटिंग के अलावा पिछले तीन या पांच साल का औसत रिटर्न भी देखना चाहिए। साथ ही उस फंड का चुनाव करना चाहिए जिसके प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव का अंतर सबसे कम हो।