नई दिल्ली। हाल की एक खबर कहती है कि मार्च में जब इक्विटी मार्केट तेजी से गिर रहा था तो निवेशकों ने म्यूचुअल फंड में बड़े पैमाने पर निवेश किया। नवंबर में जब बाजार अप्रत्याशित ऊंचाई पर था तो निवेशकों ने रकम निकाल ली। खबर यह बताती है कि बाजार में निवेशकों की टाइमिंग सही थी। जब बाजार में तेज गिरावट का दौर था तब उन्होंने निवेश किया और नवंबर में निवेश बेच दिया। क्या ये निवेशक काफी स्मार्ट थे?
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लगभग सभी नए और बहुत से पुराने निवेशक अक्सर निवेश करते हैं, निवेश की वैल्यू गिर जाती और उनका रिटर्न नकारात्मक हो जाता है। अब उनको लगता है कि अगर इस समय निवेश बेचते हैं तो उनको नुकसान होगा और यह एक तरह से हार स्वीकार करने जैसा होगा। ऐसे में उन्होंने महसूस किया कि उनको निवेश तब तक बनाए रखना चाहिए जब तक कि नुकसान की भरपाई न हो जाए और इस स्तर पर पहुंचने के बाद निवेश बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं। यह एक आम सोच है और यह बहुत से संगठनों की आधिकारिक निवेश नीति में भी दिखती है।
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हालांकि, उन नए निवेशकों का क्या जिन्होंने खुद को किसी तरह से बचाया। यह दुर्भाग्यपूर्ण और निवेश में नफा-नुकसान की गणना में गलतफहमी का नतीजा है। निवेश में व्यक्तिगत नहीं, समूचा इंवेस्टमेंट पोर्टफोलियो मायने रखता है। हालांकि, यह मायने रखता है कि एक व्यक्तिगत निवेश अच्छा है या बुरा। अगर यह बुरा निवेश है और किसी वजह से आपके लिए सही नहीं है तो इंतजार क्यों करना। आपको इससे तुरंत छुटकारा पाना चाहिए।