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पंचायत चुनाव में धांधली और गुंडागर्दी की समीक्षा करें नड्डा : लल्लू

Ajay Kumar Lallu

Ajay Kumar Lallu

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष जेपी नड्डा के उत्तर प्रदेश के दौरे को चुनावी पर्यटन करार देते हुये कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि श्री नड्डा को कोरोना काल की दुर्व्यस्था, पंचायत चुनावों की धांधलियों की निष्पक्ष समीक्षा करनी चाहिए।

श्री लल्लू ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि पंचायत चुनाव में सरकारी तंत्र का सरेआम दुरूपयोग किया गया। गुंडागर्दी, धांधली, नामांकन पत्रों को जबरन छीन कर उन्हें फाड़ा गया। प्रत्याशियों एवं प्रस्तावकों को जबरन नामांकन से रोका गया तथा उनके साथ मार-पीट की गयी और अपहरण तथा पुलिस तंत्र का दुरूपयोग कर सरेआम चुनावों को प्रभावित किया गया। सबसे शर्मनाक महिलाओं तक के साथ मार-पीट व उनके वस्त्रहरण पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को प्रदेश की जनता और महिलाओं से माफी मांगनी चाहिए।

उन्होने कहा कि कोरोना काल में ऑक्सीजन, अस्पताल, दवाइयों के लिए तड़प रही जनता के संकट के समय भाजपा अध्यक्ष क्यों नहीं दिखायी पड़े। यहां तक कि वे पंचायत चुनाव के शांतिपूर्ण सम्पन्न होने के सफेद झूठ और झूठे आंकड़ों पर मौन रहे। उन्होने महंगाई न होने की बात कर जनता के जले पर नमक छिड़कने वाले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के बयान पर भी खामोशी बनाये रखी।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि प्रदेश की 24 करोड़ आबादी में से 15 करोड़ को मुफ्त राशन दिये जाने का व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है। हांलाकि ये आंकड़े झूठे हैं और राशन वितरण के नाम पर व्यापक भ्रष्टाचार हो रहा है। फिर भी इतनी बड़ी आबादी अगर राशन के लिए लाइनों में लग रही है तो यह प्रदेश के लिए दुर्भाग्य का विषय है। इस बात पर सरकार का चेहरा स्वयं बेनकाब एवं शर्मसार हो रहा है। इससे साबित हो रहा है कि युवा, व्यापारी, किसान, सरकारी कर्मचारियों के साथ ही निम्न एवं मध्यम वर्ग तबाह और बर्बाद हो गया है। सरकार के द्वारा रोजगार एवं नौकरी दिये जाने के आंकड़े झूठे साबित हो रहे हैं। प्रदेश में नौकरियों का व्यापक अभाव स्पष्ट हो रहा है। इन्हीं कारणों से प्रदेश का एक बड़ा वर्ग मजबूरन राशन के लिए लाइनों में लगने को मजबूर है।

उन्होने कहा कि यूपीए के कार्यकाल में खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू किया गया था, जिसके सहारे सरकार झूठ बांट रही है। उज्जवला योजना सरकार की झूठ और जुमलेबाजी की पराकाष्ठा का एक साक्षात प्रमाण है, जिसमें 900 रूपये के लगभग पहुॅंच चुकी घरेलू रसोई गैस गरीब जनता की पहुॅंच से दूर हो चुकी है। 90 प्रतिशत परिवार गैस सिलेन्डरों को भरवा पाने में असमर्थ हैं। मजबूरन लोगों द्वारा गांवों में इन सिलेन्डरों को बैठने के लिए उपयोग में लाया जा रहा है।

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