नागौर। मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी है। इसके बीच राजस्थान में एनडीए के सहयोगी दल रालोपा (राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी) से नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी किसान आंदोलन के समर्थन में अपनी चुप्पी तोड़ी है।
उन्होंने कहा कि जिस दिन किसान विरोधी तीन बिल लोकसभा में आए। अगर मैं उस दिन होता तो लोकसभा के अंदर बिलों को फाड़कर फेंक देता। उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह से अकाली दल ने इन बिलों का विरोध किया, उसी तरह मैं भी विरोध करता।
खेत में काम कर रहे किसान की गोली मारकर हत्या, आरोपी फरार
बेनीवाल ने कहा कि राजस्थान का किसान भी देश के किसान के साथ खड़ा है। पंचायत चुनाव होने के कारण अब तक हम अन्य प्लेट फॉर्म के माध्यम से किसान आंदोलन को समर्थन दे रहे थे। तीनों बिल का अध्ययन भी कर लिया है। सरकार को देश के प्रमुख किसान नेताओं के साथ बैठकर गंभीरता से बात करनी चाहिए। अपनी जिद छोड़कर किसानों के हित में फैसला लेना चाहिए। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करें। जिससे एमएसपी में बढ़ोत्तरी हो।
उन्होंने कहा कि किसानों की मांगे मानी जानी चाहिए। बिल वापस लेने से सरकार का नुकसान नहीं होता। मैं फिर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से कहना चाहता हूं कि वे समय रहते किसान आंदोलन को बढ़ने से रोकें। किसान की आय बढ़ाने के लिए नए बिल लेकर आए।
बेनीवाल ने कहा कि हम कांग्रेस या अन्य दलों के राजनीतिक शिकार नहीं होना चाहते इसलिए हनुमान बेनीवाल यह प्रण लेता है कि बिना किसी लोभ-लालच के किसानों के लिए अगर मुझे संसद की सदस्यता से इस्तीफा भी देना पड़ा तो वह भी दूंगा।
ममता बनर्जी हो गई हैं पागल, बंगाल में आएगा बीजेपी का शासन : प्रज्ञा ठाकुर
बता दें कि इससे पहले सात दिसंबर को बेनीवाल ने ट्वीट कर कहा था कि, 12 दिसम्बर को हम सब कोटपूतली में मिलेंगे और देश के अन्नदाता के समर्थन में दिल्ली कूच करेंगे। रालोपा किसानों के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा था कि अन्नदाता सड़कों पर है। लंबे समय से आंदोलन कर रहा है।
बेनीवाल ने कहा था कि पिछले 15 दिनों से दिल्ली के बॉर्डर पर लड़ रहा है। इस मामले में अमित शाह को पत्र लिखकर मांग रखी। जिसमें कहा कि अगर किसानों की मांगें नहीं मानी तो एनडीए छोड़ दूंगा। आठ तारीख को भारत बंद का समर्थन करता हूं। शांतिपूर्ण भारत बंद किया जाएगा। किसान मजबूत होगा तो देश मजबूत होगा।