वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नरसिंह जयंती मनाई जाती है। इस बार नरसिंह जयंती 25 मई को है। नरसिंह जयंती का हिन्दू धर्म में खास महत्व है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए और दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप का वध करने आधा नर और आधा सिंह का रूप लिया था। इसलिए उनका नाम नरसिंह रखा गया। भगवान नरसिंह को शक्ति और पराक्रम का देवता माना जाता है।
कहते है कि, इनकी पूजा-अर्चना करने से हर तरह के संकट और दुर्घटना से रक्षा होती है। साथ ही यदि आप असहाय महसूस कर रहे हैं या फिर आपको कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है तो भी आप नरसिंह देव की साधना कर सकते हैं। अगर आप भी अपनी सभी मनोकामनाएं पूरी करना चाहते हैं तो नरसिंह जयंती के दिन भगवान नरसिंह की पूजा कर इन मंत्रो का जाप करें।
पूजा विधि-
सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करें।
हो सके तो इस दिन व्रत जरूर रखें।
फिर आप तिल,गोमूत्र,मिट्टी और आंवले को शरीर पर मलकर शुद्ध जल से स्नान करें।
चौकी पर नृसिंह देव की तस्वीर लगाए और उनके सामने दीपक जलाएं।
भगवान को प्रसाद और लाल फूल अर्पित करें।
पूजा के दौरान अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए भगवान नृसिंह के मंत्रो का जाप करें।
यदि आप मध्य रात्रि में भगवान के मंत्रो का जाप कर सकते हैं तो जरूर कीजिए। ये सबसे उत्तम होगा।
अगले दिन गरीबों को अन्न या वस्त्र का दान कर अपने व्रत का समापन करें।
भगवान नृसिंह के सिद्ध मंत्र-
एकाक्षर नृसिंह मंत्र : ”क्ष्रौं”
त्र्यक्षरी नृसिंह मंत्र : ”ॐ क्ष्रौं ॐ”
षडक्षर नृसिंह मंत्र : ”आं ह्रीं क्ष्रौं क्रौं हुं फट्”
अष्टाक्षर नृसिंह : ”जय-जय श्रीनृसिंह”
आठ अक्षरी लक्ष्मी नृसिंह मंत्र: ”ॐ श्री लक्ष्मी-नृसिंहाय”
दस अक्षरी नृसिंह मंत्र: ”ॐ क्ष्रौं महा-नृसिंहाय नम:”
तेरह अक्षरी नृसिंह मंत्र: ”ॐ क्ष्रौं नमो भगवते नरसिंहाय”
नृसिंह गायत्री — 1 : ”ॐ उग्र नृसिंहाय विद्महे, वज्र-नखाय धीमहि। तन्नो नृसिंह: प्रचोदयात्।
नृसिंह गायत्री — 2 : ”ॐ वज्र-नखाय विद्महे, तीक्ष्ण-द्रंष्टाय धीमहि। तन्नो नारसिंह: प्रचोदयात्।।”