Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

देश की समुद्री तटीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए बनेगा ‘ राष्ट्रीय समुद्री आयोग’

National Maritime Commission

National Maritime Commission

​​​​​समुद्री ​तटीय ​सुरक्षा को​ और मजबूत करने के लिए ​’राष्ट्रीय समुद्री आयोग​’ बनाने की तैयारी अंतिम चरण में है​।​​ ​​​​​​​​कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (​सीसीएस) की​ मंजूरी मिलने के बाद ​इस साल के मध्य तक​ ​भारत के पास समुद्री क्षेत्र ​के सभी मामलों को संभालने के लिए एक सर्वोच्च संघीय निकाय होगा​​।​​​ ​

बनने वाले आयोग ​के अधीन ​​देश में ​पहले से मौजूद समुद्री मामलों को निपटाने वाले विभागों के बीच सामंजस्यपूर्ण ​तरीके से ​नीति-निर्माण और प्रभावी समन्वय सुनिश्चित ​करने में आसानी होगी​​।​​ ​’राष्ट्रीय समुद्री आयोग​’ बनाने का फैसला ​​​अंतर-मंत्रालयी परामर्श के बाद ​लिया गया है। ​​

​​भारत के पास 7,516 किलोमीटर लंबी तटीय रेखा है, जिसमें द्वीप प्रदेश और दो मिलियन वर्ग किमी. का विशेष आर्थिक क्षेत्र शामिल है। कारगिल संघर्ष के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली में सुधार किये जाने के बारे में 2001 में मंत्रियों के एक समूह ने अपनी रिपोर्ट में समुद्री मामलों के प्रबंधन के लिए एक शीर्ष निकाय की आवश्यकता जताई थी ताकि नौसेना, तटरक्षक बल के साथ केंद्रीय और तटीय राज्य की सरकारों के बीच संस्थागत संबंध मजबूत हो सकें।

दुष्कर्म के आरोप में दो साल से फरार PCS अफसर ने किया सरेंडर, कोर्ट ने भेजा जेल

इसके बावजूद ऐसी किसी भी संस्था का गठन नहीं किया जा सका। इसके बाद जब समुद्री रास्ते से पाकिस्तानी आतंकियों ने आकर मुंबई में 26/11 का हमला कर दिया तो ​2008 में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (​सीसीएस) ने समुद्री सुरक्षा सलाहकार के नेतृत्व में समुद्री सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (एमएसएबी) बनाने की सलाह ​प्रमुख एजेंडे के रूप में दी थी।

इसके बाद समुद्री और तटीय सुरक्षा मजबूत करने के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में अगस्त, 2009 में एक राष्ट्रीय समिति (एनसीएसएमसीएस) का गठन किया गया था।​ यह राष्ट्रीय समिति केवल 13 तटीय राज्यों, संघ शासित प्रदेशों और अन्य समुद्री हितधारकों के बीच समन्वय तक ही सीमित है। साथ ही विभिन्न तटीय और समुद्री सुरक्षा उपायों की प्रगति की समीक्षा करने के लिए कभी-कभी ही सक्रिय होती है। हालांकि मुंबई हमले के बाद से तटीय राडार नेटवर्क से लेकर राज्य के समुद्री पुलिस स्टेशनों तक कई उपाय किए जा चुके हैं। इसके बावजूद ​​समुद्री सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए ​अंतर-मंत्रालयी परामर्श के बाद ​’राष्ट्रीय समुद्री आयोग​’ बनाने का फैसला ​​​लिया गया।

सिप्ला ने कोरोना की दवा रेमडेसिविर का उत्पादन बढ़ाकर दोगुना कर दिया

सूत्रों के अनुसार ​​राष्ट्रीय समुद्री आयोग (एनएमसी) बनने के बाद केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों (गृह, जहाजरानी, ​​मत्स्य पालन आदि) और राज्य सरकारों से लेकर नौसेना, तटरक्षक बल, सीमा शुल्क विभाग, सीमा शुल्क, सीमा शुल्क, सीमा शुल्क, सीमा शुल्क, खुफिया एजेंसियों और बंदरगाह अधिकारियों आदि के बीच तालमेल बनाया जायेगा। दरअसल भारत को ‘विशाल और महत्वपूर्ण’ समुद्री डोमेन को संभालने के लिए ‘पूर्णकालिक ढांचे’ की आवश्यकता जताई गई है। भारत एक प्रायद्वीपीय देश है, जो पश्चिम में अरब सागर, दक्षिण में हिन्द महासागर और पूर्व में बंगाल की खाड़ी से घिरा हुआ है। भारत अपनी जलीय सीमा पाकिस्तान, मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे देशों के साथ साझा करता है।

भारत की विभिन्न देशों के साथ लंबी जलीय सीमा से कई प्रकार की सुरक्षा संबंधी चिंता उत्पन्न होती है। इन चुनौतियों में समुद्री द्वीपों के निर्जन स्थानों पर हथियार एवं गोला बारूद रखना, राष्ट्रविरोधी तत्त्वों की देश में घुसपैठ एवं यहां से भागना, अपतटीय एवं समुद्री द्वीपों का प्रयोग आपराधिक क्रियाकलापों के लिए करना, समुद्री मार्गों से तस्करी करना आदि शामिल हैं। इन्हीं चुनौतियों से निपटने के लिए ‘​​राष्ट्रीय समुद्री आयोग’ के गठन को ​कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (​सीसीएस) की​ मंजूरी मिलने का इंतजार है।

Exit mobile version